सोशल मीडिया पर सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ गोरखपुर सांसद रवि किशन का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो इंस्टाग्राम से पोस्ट किया गया है। वीडियो वायरल में भाजपा सांसद रवि किशन…
Source link
gorakhpur news
Gorakhpur News : सीएम ने कहा बेफिक्र करें निवेश – कारोबार, हर कदम पर साथ है सरकार
बैठक में गैलेंट समूह के चेयरमैन चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह-सात साल में गोरखपुर और उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदल दी है.उन्होंने कहा कि यहां का लॉ एंड ऑर्डर बहुत ही बेहतर हुआ है.उद्यमियों की हर समस्या पर मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रुचि लेकर उसका समाधान कराते हैं.उन्होंने कहा कि आज यूपी तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है तो उसका श्रेय सीएम योगी को है. बैठक में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, सांसद रविकिशन शुक्ल, महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, प्रदीप शुक्ल, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह, पेप्सिको, कोका कोला, किर्लोस्कर आयल इंजन, रेड टेप, लुलू ग्रुप, खंडेलवाल एडिबल आयल प्राइवेट लिमिटेड व वरिष्ठ प्रतिनिधि मौजूद रहे.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप
Indian Railway : बिहार-पूर्वांचल यात्रियों की बढ़ने जा रहीं मुश्किलें, कोहरे में निरस्त हो जाएंगी 28 Train
गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे विभिन्न रूट पर चलने वाली गोरखपुर आनंद विहार साप्ताहिक और गोरखपुर वाराणसी एक्सप्रेस सहित करीब 28 ट्रेनें निरस्त करने जा रहा है. हमसफर और लखनऊ –पाटलिपुत्र सहित गोरखपुर रूट पर चलने वाली लगभग 36 गाड़ियों के फेरे कम हो जाएंगे. यानी रोज चलने वाली ट्रेनें भी सप्ताह में तीन से चार दिन चलाई जाएगी. यह तब है जब दिल्ली और मुंबई जाने वाली गाड़ियों में नो रूम की स्थिति बनी हुई है. वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा है.जनरल कोचों में पैर रखने की जगह नहीं मिल पा रही है. इससे बिहार और पूर्व को जाने वाले यात्रियों को यात्रा करना मुश्किल हो जाएगा. यह परेशानी जुलाई से ही चली आ रही है पूर्वोत्तर रेलवे की विभिन्न रूटों पर निर्माण कार्य के चलते गाड़ियां लगातार निरस्त रही है.ट्रेनों का समय पालन धड़ाम हो गया है. कैंट व कुस्मही स्टेशन पर तीसरी रेल लाइन के चलते गोरखपुर –छपरा रूट पर करीब डेढ़ माह तक ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा है. यात्रियों की परेशानी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. यह तब है जब दीपावली बाद लगन शुरू हो गया है.गोरखपुर से दिल्ली और मुंबई जाना ही नहीं आने में भी चुनौतीपूर्ण हो रहा है. जानकारों की माने तो ऐसा दिसंबर तक चलेगा. क्योंकि यात्रियों की भीड़ रहेगी.अभी कोहरा नहीं पड़ रहा है. लेकिन रेलवे अपना बचाव करते हुए अभी से ट्रेनों को निरस्त करना शुरू कर दिया है.
रोजाना चलने वाली ट्रेन भी सप्ताह में तीन से चार दिन चलेंगी
दीपावली और छठ महापर्व के बीतने के बाद दिल्ली मुंबई सहित अन्य शहरों में जाने वाले पूर्वांचल और बिहार की हजारों लोग परेशान हैं. दिसंबर,जनवरी और फरवरी में बुक कंफर्म टिकट अब कैंसिल होने लगे हैं. रेलवे प्रशासन ने खराब मौसम(कोहरे) का हवाला देते हुई. 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक ट्रेनों को कैंसिल करना शुरू कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इस दौरान पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाली गोरखपुर आनंद विहार साप्ताहिक और गोरखपुर वाराणसी नियमित एक्सप्रेस सहित करीब 28 ट्रेन निरस्त रहेंगी. हमसफर और लखनऊ– पाटलिपुत्र सहित गोरखपुर रोड पर चलने वाली लगभग 36 गाड़ियों का फेरा कम हो जाएगा. यानी रोजाना चलने वाली ट्रेन भी सप्ताह में तीन से चार दिन चलाई जाएगी.
ट्रेन कैंसिल होने पर परेशान हो रहे यात्री
ट्रेन नंबर 12571 हमसफर एक्सप्रेस में बलराम सिंह का 10 दिसंबर को एसी थर्ड ईयर में टिकट बुक था. एसी थर्ड का टिकट आरएसी 18 था. 25 नवंबर को उनके मोबाइल पर कंफर्म टिकट का मैसेज आया तो उन्होंने सुकून की सांस ली. लेकिन उनकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं रह सकी. शाम को दोबारा मैसेज आया की ट्रेन कैंसिल कर दी गई है. मैसेज देखते ही उनकी खुशी गायब हो गई. क्योंकि दिल्ली के लिए एक तो किसी भी ट्रेन का कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है.ऊपर से रेलवे ट्रेनों को कैंसिल करता जा रहा है.जुलाई ,अगस्त से ही ट्रेन लगातार कैंसिल चल रही हैं.नवंबर में कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा था. तो दिसंबर में हमसफर का आरएसी टिकट लिया था. लेकिन ट्रेन कैंसिल हो जाने से उनके अरमानों पर पानी फिर गया.इससे केवल बलराम सिंह ही नहीं दिल्ली,मुंबई सहित अन्य शहरों में जाने वाली पूर्वांचल और बिहार के हजारों लोग भी परेशान हैं.
75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी ट्रेनें
पूर्वोत्तर रेलवे ने खराब मौसम में सुरक्षित यात्रा को देखते हुए ट्रेनों की गति को भी नियंत्रित कर दिया है. कोहरे में लोको पायलट इंजन में फाग सेफ डिवाइस लगने के बाद अधिकतम 75 बिना डिवाइस के अधिकतम 60 किलोमीटर प्रति घंटे तथा अपने विवेक से ट्रेन संचालित करेंगे. सभी ट्रेन के इंजनों में फॉक्स सेफ डिवाइस लगनी शुरू हो गई है. डिवाइस की मरम्मत कर दी गई है. डिवाइस में नया मैप भी अपलोड कर दिया गया है. लोकेशन बुक जारी करने के अलावा समूह व मैन टू मैन काउंसलिंग भी शुरू कर दी गई है. सिग्नल पर पटाखा और चुना आदि परंपरागत साधनों का उपयोग शुरू हो गया है. रनिंग स्टाफ को आवश्यक गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देशित जारी कर दिया गया है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप
Gorakhpur News: छठ पूजा पर बाजार सज कर हुआ गुलजार, घर से लेकर घाट तक है चहल-पहल
भगवान सूर्य के उपासना का लोक पर्व छठ को लेकर उत्सव व उल्लास का वातावरण है. बिहार से शुरू हुआ यह त्योहार उत्तर प्रदेश सहित भारत के लगभग सभी प्रदेशों में मनाया जा रहा है. बिहार से सटे होने के कारण उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भारी संख्या में लोग इस त्योहार को मनाते हैं. शुक्रवार से नहाए खाए के साथ इस त्योहार की शुरुआत हो गई है. घर से लेकर घाट व बाजार तक में चहल-पहल बढ़ गई है. प्रकृति को समर्पित इस पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन शुक्रवार को नहाए खाए के साथ हुई. घरों से लेकर बाजारों तक छठ गीत वातावरण में गुजर रहे हैं माहौल भक्ति से ओतप्रोत हैं. छठ पूजा के लिए थोक के बाद फुटकर बाजार भी सज कर तैयार हो गए हैं. सूप, दउरा, मिट्टी के बर्तन के साथ फलों की खरीदारी के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ने लगी है. आज शुक्रवार से नहाए खाए के साथ छठ व्रत की शुरुआत हुई. ऐसे में लोगों ने पहले से ही खरीदारी के साथ पर्व की तैयारी शुरू कर दी है. जिससे न सिर्फ उन्हें भीड़ से राहत मिल सके बल्कि पूजन में प्रयुक्त होने वाली एक-एक सामग्री समय से एकत्र कर सके. बाजारों में दुकान सज कर तैयार हो गए हैं. छठ पूजा के लिए फलों व सब्जियों की खरीदारी के लिए लोग बाजारों में पहुंच रहे हैं.
बाजारों में इन सामानों की है खूब मांग
गोरखपुर महानगर के गोलघर, असुरन, घंटाघर, मोहद्दीपुर, राप्ती नगर, धर्मशाला बाजार, आर्य नगर, सूरजकुंड सहित कई जगहों पर छठ पूजा के बाजार सज के तैयार हो गए हैं. लोग बाजारों में छठ पर्व के सामानों को खरीदने के लिए मोलभाव करते दिख रहे. बाजारों में फलों और सब्जियों के साथ-साथ दिया, कोसी, ढकनी की खरीदारी भी कर रहे हैं. बाजारों में कुछ छोटे दुकानदार आसपास के गांव से ताजी हरी हल्दी, अदरक व पानी फल यानी सिंघाड़ा लेकर आए हैं. पत्ते वाली गाजर व मूली की भी बिक्री हो रही है. गोरखपुर के बगल के जिले कुशीनगर, महाराजगंज से सर्वाधिक सामग्री आई है. केले की आवक खड्डा कुशीनगर व कैंपियरगंज से हो रही है.
कटिहार व छपरा के सूप और दउरा से पटा शहर
गोरखपुर के बाजारों कटिहार, बाबा धाम, मऊ व छपरा से आई हुई सूप व दउरा से पटा हुआ है. सूप व दउरा के एक विक्रेता ने बताया कि इस बार बाजारों में अधिक सूप वी दउरा वहीं से आए हैं. पीतल के सूप खरीदने के बाद भी कई लोग उपयोग के लिए बांस की कामाची से तैयार सूप की खरीदारी करते हैं. कारोबारी के अनुसार पीतल का सूप 600 से लेकर 1100 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है. ज्यादातर पीतल व कांसा का बर्तन मिर्जापुर व मुरादाबाद से आता है.
सूप व दउरा का बाजारों में भाव
सूप–70 से 100 रुपए प्रति पीस
दउरा –150 से 250 रुपए प्रति पीस
दोहरी बुनाई वाला दउरा- 250 से 550 रुपए प्रति पीस
टोकरी -140 से 250 रुपए प्रति पीस
पीतल का सूप–550 से 1100 रुपए किलो
कोसी–150 से ढाई सौ रुपए प्रति पीस.
बाजारों में फलों की फुटकर भाव
-
नारियल 40 रुपए प्रति पीस
-
केला 50 रुपए दर्जन
-
नारियल 40 रुपए प्रति पीस
-
गाना 40 से 50 रुपए जोड़ा
-
सेब 100 से 120 रुपए प्रति किलो
-
संतरा 90 से 100 रुपए प्रति किलो
-
अनार 160 से 200 रुपए प्रति किलो
-
गागल नींबू 35 से 40 रुपए प्रति पीस
-
सिंघाड़ा 40 रुपए प्रति किलो
-
शरीफा 80 से 100 रुपए प्रति किलो
-
अनानास 40 से 50 रुपए प्रति पीस
-
नाशपाती 100 रुपए प्रति किलो
-
मौसमी 40 से 50 रुपए प्रति किलो
-
अमरख 20 रुपए जोड़ा
-
सुथनी 80 रुपए किलो
-
बेर 70 रुपए प्रति किलो
-
हल्दी 100 रुपए किलो
-
अदरक 100 रुपए किलो
नगर निगम की जीरो वेस्ट त्योहार के रूप में छठ मनाने की तैयारी
गोरखपुर नगर निगम प्रशासन छठ महापर्व को जीरो वेस्ट त्योहार के रूप में मनाने की तैयारी कर रहा है. जिसको लेकर नगर निगम प्रशासन ने लगभग तैयारी पूरी कर ली है. नगर निगम इसको लेकर घाटों पर श्रद्धालुओं को जागरूक करने के साथ ही वहां कूड़े के लिए जगह-जगह डस्टबिन रखने की व्यवस्था कर रहा है. घाटों की निरंतर सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में नगर निगम सफाई कर्मचारी भी तैनात करेगा. गोरखपुर नगर निगम महानगर के सबसे भीड़ वाले जगह पर विशेष ध्यान देने की तैयारी कर रहा है. महानगर के गोरखनाथ घाट, रामघाट, राजघाट, गोरखनाथ मंदिर के भीम सरोवर, सूरजकुंड धाम सरोवर, मानसरोवर रामलीला मैदान अंधियारी बाग, आदि किनारे के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा होती है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर
Gorakhpur News : सुब्रत राय ने गोरखपुर से एक कुर्सी व मेज और तीन दोस्तों के साथ सहारा इंडिया की रखी थी नींव
गोरखपुर : सहारा श्री यानि सुब्रत राय रिश्ते निभाने में भी करिश्माई थें. सुब्रत राय ने उत्तर प्रदेश गोरखपुर के राजकीय पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के दौरान ही खास अंदाज के चलते युवाओं में वह खासे लोकप्रिय हो गए थे.करियर की शुरुआत में सुब्रत राय की कही हुई बात की इंपलाई नहीं इंपलायर बनना है.समय के साथ उन्होंने यह करके भी दिखाया.साल 1978 में गोरखपुर में सिर्फ 2000 रुपए और तीन साथियों के साथ व्यवसाय की शुरुआत करके सुब्रत राय ने पूरी दुनिया में अपना कारोबार फैलाया.सुब्रत राय ने महज 2000 रुपए एक कुर्सी व मेज के साथ सहारा इंडिया की नींव रखने वाले फर्श से अर्श पर पहुंचने के बाद भी पुराने साथियों को नहीं भूले.बिहार के अररिया में जन्मे सुब्रत राय ने शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में करने के बाद परिवार के साथ गोरखपुर आ गए थे.उन्होंने राजकीय पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई की. सुब्रत राय का परिवार गोरखपुर के तुर्कमानपुर में गांधी आश्रम के पास किराए के मकान में रहता था.पिता के गोरखपुर से लौटने के बाद भी सुब्रत राय ने शहर नहीं छोड़ा और बेतियाहाता में किराए पर कमरा लेकर रहने लगे.
नौकरी की जगह हमेशा बिजनेस के बारे में ही सोचते रहे
पढ़ाई के दौरान सुब्रत राय यचदी मोटरसाइकिल से चलते थे. वह उस दौर में भी युवाओं की अगुवाई करते थे. बेतियाहाता में रहने के दौरान ही उन्होंने चिट फंड का कारोबार शुरू किया था.सुब्रत राय के संघर्ष को करीब से देखने वाले स्वर्गीय पी के लाहड़ी बताया करते थे कि सुब्रत को कभी सरकारी नौकरी करनी ही नहीं थी. वह हमेशा बिजनेस के बारे में ही सोचते रहते थे. पढ़ाई लिखाई में कमजोर सुब्रत शुरू में मुंबई की एक फाइनेंस कंपनी में एजेंट बने.उसके बाद तीन दोस्तों के साथ सहारा इंडिया की नींव डाली. सुब्रत राय ने गोरखपुर के साथ ही देश के अन्य जगहों के हजारों युवाओं को सहारा समूह से जोड़ा. उन्हें योग्यता के अनुसार काम करने का प्लेटफार्म दिया. गोरखपुर की पूर्व मेयरअंजू चौधरी और सहारा श्री सुब्रत राय के बीच पारिवारिक संबंध थे.अंजू चौधरी को सुब्रत राय भाबी बुलाते थे.जिस पर अंजू चौधरी उन्हें टोका करती थी कि भाबी नहीं भाभी होता है. सुब्रत राय और अंजू चौधरी के घर से आना-जाना 1972 से ही है.सहारा श्री को अंजू चौधरी के हाथों की मिठाई बहुत पसंद थी.अंजू चौधरी ने बताया कि सुब्रत राय इंटरनेशनल लेवल का आदमी होने के बावजूद पूरी तरह से ग्राउंड टू अर्थ थे.वह हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहते थे. गोरखपुर से जुड़ाव कुछ ऐसा रहा की रिक्शे वाले को भी उनके नाम से जाना करते थे.
नीले रंग की स्कूटर पर नमकीन बेचा
अंजू चौधरी ने बताया कि उनका संबंध तब से है जब वह अपनी नीली स्कूटर पर नमकीन बेचा करते थे. अंजू चौधरी ने बताया कि उनकी छोटी बहन लखनऊ में रहती हैं.सुब्रत राय जब भी लखनऊ जाते थे तो वह अपने बहन के यहां जो भी भिजवाना होता था सुब्रत राय के हाथों भिजवा देती थी.गोरखपुर के बेतियाहाता में रहने के दौरान ही सुब्रत राय ने चित फंड का कारोबार शुरू किया था.कॉलेज और यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को पहले 1रूप बचत की आदत डलवाई.यह स्कीम सफल हुई तो दिहाड़ी कमाने वाले लोगों में पैठ बनाई सपने बेचने के महारथी सुब्रत का अंदाज इतना जबरदस्त था कि रोजाना 100 रुपए कमाने वालों को भी उन्होंने 20 रुपए बचत करने को प्रेरित किया. ऐसा करने वालों का उन्होंने खाता खुलवाया और एक रुपए जमा करा कर सहारा के लिए पूंजी तैयार की. इसके बाद उन्होंने सिनेमा रोड पर यूनाइटेड टॉकीज के पास छोटी सी दुकान में कार्यालय खोला.शहर का वह कार्यालय आज भी पंजीकृत है.सुब्रत राय के सहपाठी रहे राजेंद्र दुबे को रात में जैसे ही सहारा श्री के निधन की खबर मिली वह भावुक ही गए. उन्होंने बताया कि सुब्रत ने कभी भी सरकारी नौकरी की कोशिश नहीं कि वह कहते थे कि उन्हें नौकरी नहीं बिजनेस करना है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप