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Gaganyaan Launch mission Live : गगनयान मिशन की उड़ान का समय बदला, अब सुबह 8.30 बजे होगा क्रू मॉड्यूल का परीक्षण
Gaganyaan Launch Mission Live: चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने गगनयान मिशन के लिए मानवरहित उड़ान का परीक्षण कर रहा है। यह उड़ान परीक्षण आज सुबह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जा रहा है। सुबह सात बजे से शुरू होने वाली परीक्षण उड़ान का समय बदल गया है। अब इसे 8.30 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो अपने टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (TV-D1) के जरिए पहले क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले जाएगा और फिर बाद में इस क्रू मॉड्यूल की लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में होगी। जहां नौसेना की टीम उसे रिकवर करेगी।
अंतरिक्ष की पहली उड़ान भरेगा ‘गगनयान’, काउंटडाउन जारी, आज होगी लॉन्चिंग
ISRO Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार (20 अक्टूबर) को बताया कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के महत्वाकांक्षी मिशन की दिशा में आगे बढ़ते हुए एक मानव रहित उड़ान परीक्षण के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है.
इसरो ने बताया कि ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) और चालक बचाव प्रणाली से लैस एकल-चरण तरल प्रणोदन रॉकेट को शनिवार (21 अक्टूबर) सुबह 8 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के पहले प्रक्षेपण तल से रवाना किया जाएगा.
परीक्षण यान मिशन का उद्देश्य अंततः गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए क्रू मॉड्यूल और चालक बचाव प्रणाली के सुरक्षा मानकों का अध्ययन करना है.
क्या है गगनयान मिशन का लक्ष्य?
गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में 3 दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है.
इसरो शनिवार को अपने परीक्षण यान – प्रदर्शन (टीवी-डी1), एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगा. इस क्रू मॉड्यूल के साथ परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि शनिवार को परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली एकीकृत की गई है.
इसरो ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी, ”21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे टीवी-डी1- परीक्षण उड़ान को प्रक्षेपित करने के लिए उल्टी गिनती शुक्रवार शाम 7 बजे शुरू हो गई है.”
‘पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा’
इसरो ने बताया कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए आधार तैयार करेगी, जिससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा.
‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है. इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है.
‘क्रू मॉड्यूल’ में लगे सिस्टम के प्रदर्शन का होगा आकलन
शनिवार को पहली परीक्षण उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित होगा क्रू मॉड्यूल
शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम (चालक बचाव प्रणाली) और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है. बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना के जरिये इनको खोज निकाला जाएगा.
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क्यों अहम है गगनयान मिशन का पहला ट्रायल? जानें, ISRO के इस खास प्रोजेक्ट के बारे में
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी कि ISRO शनिवार को एकल-चरण तरल प्रणोदक (Single-stage Liquid Propellant) वाले रॉकेट की लॉन्चिंग के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में आगे बढ़ेगा। इस दौरान प्रथम ‘कू मॉड्यूल’ के जरिये अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की टेस्टिंग की जाएगी। ISRO का लक्ष्य 3 दिन के गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।
बाकियों से अलग है ISRO का यह मिशन
ISRO का यह मिशन बाकियों से अलग है क्योंकि अंतरिक्ष एजेंसी अपने परीक्षण यान एकल चरण प्रणोदन वाले तरल रॉकेट (TV-D1) की सफल लॉन्चिंग की कोशिश करेगी, जिसे 21 अक्टूबर को सुबह 8 बजे इस अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरने के लिए निर्धारित किया गया है। इस ‘क्रू मॉड्यूल’ के साथ परीक्षण यान मिशन, समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरा सिस्टम इंटिग्रेटेड है। इस परीक्षण उड़ान की सफलता बाकी की टेस्टिंग और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी।
इस मिशन की सफलता ‘गगनयान’ का भविष्य तय करेगी।
टेस्ट की कामयाबी पर बहुत कुछ है निर्भर
अगर यह टेस्ट कामयाब हुआ तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके 2025 में आकार लेने की उम्मीद है। ‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। इसमें क्रू इंटरफेस, जीवन रक्षक प्रणाली, वैमानिकी और गति में कमी से जुड़ी प्रणाली (डिसेलेरेशन सिस्टम) मौजूद हैं। नीचे आने से लेकर उतरने तक के दौरान क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे दोबारा भेजने के लिए भी डिजाइन किया गया है।
17 किमी की ऊंचाई पर लॉन्च होगा क्रू मॉड्यूल
चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण परिसर में एकीकृत किए जाने से पहले क्रू मॉड्यूल को ISRO के केंद्रों में विभिन्न परीक्षण से गुजरना पड़ा। शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (TV-D1) क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा के पूर्वी तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है। बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। TV-D1 यान एक संशोधित ‘विकास’ इंजन का उपयोग करता है जिसके अगले सिरे पर ‘क्रू मॉड्यूल’ और क्रू एस्केप सिस्टम लगा होता है।
44 टन वजनी है TV-D1 रॉकेट
TV-D1 रॉकेट 34.9 मीटर लंबा है और इसका भार 44 टन है। यह एक ‘सिम्युलेटेड थर्मल सिक्योरिटी सिस्टम’ के साथ सिंगल-वॉल वाली बिना दबाव वाली एल्यूमीनियम की संरचना है। टेस्ट व्हीकल D1 मिशन का लक्ष्य नए विकसित टेस्ट व्हीकल के साथ क्रू एस्केप सिस्टम की रॉकेट से अलग होने और सुरक्षित वापसी की क्षमता को प्रदर्शित करना है। मिशन के कुछ अन्य उद्देश्यों में उड़ान प्रदर्शन और टेस्ट व्हीकल्स का मूल्यांकन, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल विशेषताएं, और ज्यादा ऊंचाई पर गति नियंत्रण शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से वैज्ञानिकों का लक्ष्य क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान LVM-3 रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ में भेजा जाएगा। (भाषा)