केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय की कार्यप्रणाली को लेकर परेशान रहने वाले निर्माताओं को लेकर ‘अमर उजाला’ पर 28 जनवरी को प्रकाशित खबर का असर ये रहा कि इसके अधिकारियों ने अगले दिन ही रात आठ बजे फिल्म ‘छत्रपति संभाजी’ के निर्माता-निर्देशक को बुलाकर सेंसर सर्टिफिकेट थमा दिया। इस बारे में ‘अमर उजाला’ लगातार ये कोशिश करता रहा है कि मुंबई के इस क्षेत्रीय कार्यालय का फिल्म जगत से संवाद सहज और सुलभ हो सके और इसके अधिकारियों के सीयूजी नंबर सार्वजनिक रूप से इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाएं।
निर्माता -निर्देशक राकेश सुबेसिंह दुलगज ने ‘छत्रपति संभाजी’ का निर्माण मराठी और हिंदी भाषा में किया है। दोनों भाषाओं में सेंसर सर्टिफिकेट के लिए उन्होंने आवेदन किया था। सेंसर बोर्ड के टालू रवैये को देखते हुए दुलगज ने इसके क्षेत्रीय कार्यालय के खिलाफ आवाज उठाई और ‘अमर उजाला’ पर ये खबर दमदार तरीके से प्रकाशित की गई। दुलगज बताते हैं कि रविवार को खबर का प्रकाशन हुआ और सोमवार को ही उनके पास सेंसर बोर्ड से फोन आ गया। फिल्म के मराठी संस्करण का सेंसर सर्टिफिकेट 30 जनवरी की रात 8 बजे ही जारी कर दिया गया। फिल्म के हिंदी संस्करण को भी गुरुवार को सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है।
फिल्म ‘छत्रपति संभाजी’ के निर्माता निर्देशक राकेश सुबेसिंह दुलगज ने बताया कि वह इस फिल्म को हिंदी और मराठी में एक साथ रिलीज करना चाह रहे थे। दोनों संस्करणों के सेंसर सर्टिफिकेट मिल जाने के बाद अब ये फिल्म वह 9 फरवरी को रिलीज करेंगे। पिछले आठ साल से मराठी और हिंदी में बन रही फिल्म ‘छत्रपति संभाजी’ गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को रिलीज होने वाली थी। लेकिन सेंसर सर्टिफिकेट न मिलने की वजह से फिल्म रिलीज नहीं हो पाई।
मराठी और हिंदी में एक साथ बनी फिल्म ‘छत्रपति संभाजी’ को सेंसर के लिए फिल्म के निर्माता-निर्देशक राकेश सुबेसिंह दुलगज ने 26 दिसंबर को सेंसर बोर्ड में आवेदन किया था। सेंसर बोर्ड के अधिकारियों ने फिल्म के जिन दृश्यों पर आपत्ति जताई थी उसके साक्ष्य और प्रमाण पेश करने के बाद भी फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट देने में सेंसर बोर्ड के अधिकारी आनाकानी कर रहे थे। सेंसर बोर्ड के रीजनल ऑफिसर सईद रबी हाशमी ने सबूत और साक्ष्य की मांग की है कि क्या वास्तव में औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी को इस्लाम कबूल करने पर दबाव डाला था?