कोरोनावायरस में लगातार म्यूटेशन जारी है, नए वैरिएंट्स के कारण हाल के महीनों में दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन के BA.2.86 वैरिएंट में हुए म्यूटेशन के कारण सामने आए नए JN.1 सब-वैरिएंट ने वैश्विक स्तर पर न सिर्फ संक्रमण का जोखिम बढ़ाया, साथ ही इसके कारण कुछ लोगों में गंभीर रोगों का भी खतरा देखा गया।
फिलहाल इस वैरिएंट के कारण संक्रमण की रफ्तार थोड़ी कम जरूर हई है, हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस में नए म्यूटेशनों का खतरा लगातार बना हुआ है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया जिस तेज गति से JN.1 का संक्रमण इस बार देखा गया है उसने भविष्य में नए वैरिएंट्स के जोखिमों को और भी बढ़ा दिया है, ऐसे में संक्रमण से बचाव को लेकर हमें लगातार अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
संभावित नए वैरिएंट्स से किस तरह से मुकाबला किया जा सकता है, इस बारे में बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने कारगर तरीका ढूंढ लिया है जिसकी मदद से भविष्य में कोरोना के जोखिमों से बचाव करने में मदद मिल सकती है। शोध की रिपोर्ट को फ्रंटियर ऑफ इम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
भविष्य के संभावित वैरिएंट्स से मुकाबले की तैयारी
इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम), यूनिलीवर लिमिटेड और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) के वैज्ञानिकों ने एक खोज की है जो सार्स-सीओवी-2 के वर्तमान और भविष्य के संभावित वैरिएंट्स से लड़ने में मदद कर सकती है। बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया कि अनुसंधान टीम ने लगातार परिवर्तित हो रहे वायरस प्रोटीन को लक्षित करने के बजाय इस बार शरीर की एंटीवायरल सुरक्षा को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
वायरस के खिलाफ शरीर की शक्ति बढ़ाने पर जोर
कोरोना के नए वैरिएंट्स से किस प्रकार से मुकाबला किया जाए इसके लिए इस बार शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (एएमपी) को बढ़ाने पर ध्यान दिया है। एएमपी, मानव शरीर में उत्पादित होने वाला पदार्थ है सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस के वसायुक्त बाहरी झिल्ली को बाधित करने में मददगार है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर एएमपी को बढ़ाने पर जोर दिया जाए तो शरीर में वायरस के संक्रमण और इसके संचरण को रोका जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने खोजा नया फॉर्मूलेशन
इन खोजों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने एक फॉर्मूलेशन का आविष्कार किया जो नए वैरिएंट से संक्रमण को प्रबंधित कर सकता है। इनस्टेम की निदेशक प्रोफेसर मनीषा इनामदार कहती हैं, इस खोज के माध्यम से भविष्य में कोरोना के आने वाले वैरिएंट्स से मुकाबला करना आसान हो सकता है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड में कार्यकारी निदेशक विभव संजगिरी ने इस खोज को साबुन और सैनिटाइजर जैसे रोजमर्रा के उत्पादों में शामिल करने की बात कही है, जिसके उपयोग से वायरस से मुकाबला किया जा सकेगा।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने कहा, ये खोज कोविड-19 वैरिएंट के खिलाफ हमारे शस्त्रागार में एक शक्तिशाली हथियार की वृद्धि का सूचक है। इस फॉर्मूलेशन को दैनिक इस्तेमाल की चीजों में शामिल करके लोगों में प्रतिरक्षा को बढ़ाकर संक्रामक रोगों से निपटने में मदद मिल सकती है। कोरोनावायरस में लगातार म्यूटेशन जारी है और जिस तरह से अध्ययनों में संदेह जताई जा रही है कि भविष्य में और भी वैरिएंट्स आ सकते हैं, इन जोखिमों को देखते हुए हमारे पास दीर्घकालिक रूप में सुरक्षातंत्र की आवश्यकता है।
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