मुक्केबाज विजेंदर सिंह भाजपा में शामिल हो गए हैं। अब तक वह कांग्रेस के सदस्य थे और चुनाव भी लड़ चुके हैं। विजेंदर सिंह के शाामिल होने से पार्टी को दिल्ली से लेकर हरियाणा तक फायदे की उम्मीद है।
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PM मोदी का करिश्मा या कुछ और, गुजरात में BJP क्यों करती है क्लीन स्वीप; कांग्रेस के पास भी एक बड़ा मौका
Lok Sabha Election: पिछले दो बार के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी गुजरात की सभी सीटों पर जीत के साथ क्लीन स्वीप कर रही है। ताजा सर्वे के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा गुजरात की 26 की 26 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए दिख रही है। ऐसे में एक सवाल सामने आता है कि आखिर वो कौन सा सबसे बड़ा फैक्टर है जिस वजह से बीजेपी गुजरात में तीसरी बार क्लीन स्वीप करने के बिलकुल करीब है। इस दौरान कांग्रेस के पास गुजरात में अपना प्रदर्शन बेहतर करने का एक बड़ा मौका भी है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री ‘नरेन्द्र मोदी का करिश्मा’ सबसे बड़ा कारक है। ‘मोदी का करिश्मा’ उन प्रमुख कारकों में से एक है जो गुजरात में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को संभवत: सर्वाधिक प्रभावित करेंगे। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट के लिए एक चरण में सात मई को मतदान होगा और मतगणना चार जून को होगी।
गुजरात के लोकसभा चुनावों में सत्ताविरोधी भावना, बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी हैं। लेकिन भाजपा की कोशिश गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखने की होगी जिनपर उसने वर्ष 2019 के चुनाव में जीत दर्ज की थी।
गुजरात में लोकसभा चुनाव के बड़े मुद्दे
प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा
सत्ताधारी भाजपा के पास प्रधानमंत्री मोदी के रूप में एक तुरुप का पत्ता है जो गुजरात से हैं और वर्ष 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। अपने गृह राज्य में समर्थकों पर उनका दबदबा अब भी बरकरार है।
सत्ताविरोधी भावना
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस, केंद्र में भाजपा के पिछले 10 साल के शासन के दौरान किसी भी सत्ता विरोधी भावना का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। उन्हें लगता है कि विचारधारा के आधार पर वोट नहीं देने वाले लोगों को उचित विकल्प पेश करके विपक्ष द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है।
महंगाई
महंगाई के प्रभाव के संदर्भ में निम्न और मध्यम आय वाले परिवार सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए यह इस बात पर विचार करने में निर्णायक कारक होगा कि पिछले 10 वर्षों में मूल्य वृद्धि ने लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है।
बेरोजगारी
यह एक और मुद्दा है जिसका उपयोग कांग्रेस लगातार केंद्र पर हमला करने के लिए कर रही है। चूंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन को प्रभावित करता है, इसलिए जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे तो उनके मन में यह बात सबसे ऊपर होगी।
दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
यदि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल की कक्षाओं का निर्माण किया जाता है, तो वहां शिक्षकों की कमी होती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सकों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
किसानों के मुद्दे
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्यादा बारिश के कारण फसल के नुकसान के लिए पर्याप्त मुआवजे की कमी, उर्वरकों की अनुपलब्धता और परियोजना विकास के लिए भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे भी मतदाताओं के रुख को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
राहुल गांधी की एक बात पर भड़क गए थे नीतीश कुमार, बस फिर किया विपक्ष छोड़ने का फैसला
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दिल्ली-कोलकाता घूमकर विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब सत्तारूढ़ NDA के साथ हैं। खबर है कि विपक्षी गठबंधन छोड़ने का फैसला उन्होंने जनवरी के मध्य में ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ बातचीत के दौरान ले लिया था। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
क्या है मामला
कभी पटना, तो कभी बेंगलुरु में मिल रहे विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के दलों ने 13 जनवरी को वर्चुअली बैठक करने का फैसला किया था। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इसी दिन उन्होंने विपक्ष का साथ छोड़ने का मन बना लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, वह राहुल पर काफी नाराज थे और 10 मिनट पहले ही मीटिंग छोड़कर चले गए थे
क्या थी वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि चर्चा के दौरान राहुल की तरफ से जवाब आया था कि वह विपक्षी गठबंधन के संयोजक के पद के लिए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया कि इसके कुछ समय बाद ही नेताओं ने बिहार सीएम को ही संयोजक चुन लिया था, लेकिन नाराज नीतीश ने पद ठुकरा दिया और कहा कि लालू यादव को यह पद दिया जा सकता है।
कहा यह भी जा रहा है कि 19 दिसंबर को हुई बैठक में नीतीश को संयोजक बनाने के लिए कांग्रेस ने कई दलों से बात कर ली थी। कांग्रेस यह प्रस्ताव भी रखने वाली थी, लेकिन बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे कर दिया था। हालांकि, खड़गे का कहना था कि फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा।
VIDEO: ‘इंडिया’ गठबंधन में कब होगी लोकसभा सीट की शेयरिंग? बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच होगी बात
बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा जल्द होने की जेडीयू ने उम्मीद जताई है. पार्टी ने संकेत दिया है कि बिहार में उसके पास 16 लोकसभा सीटें हैं और वह इससे कम सीटें स्वीकार नहीं करेगी. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि आम सहमति बन रही है कि सीटिंग सांसद वाली सीटें विजयी पार्टी के पास रहेंगी. ऐसी ही परंपरा भी रही है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि सभी नेता बैठकर सीट शेयरिंग पर सबसे पहले आम सहमति बिहार में ही बनेगी. इधर, सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस माह के अंत तक इंडिया गठबंधन में देश की अधिकांश सीटों पर सीट शेयरिंग हो जाने की उम्मीद जतायी है. झा ने कहा कि बिहार में सीट शेयरिंग में कोई समस्या नहीं है. यहां कांग्रेस और राजद नेताओं के बीच बातचीत होनी है, इसके बाद राजद और जदयू नेताओं के बीच बातचीत होगी. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि यहां महागठबंधन 40 सीट पर जीत हासिल करे.
नीतीश पीएम मेटेरियल पर पद की कोई लालसा नहीं
मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी नहीं कहा कि हमको संयोजक या अन्य कोई पद चाहिए. उनका एक ही मकसद भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट कर एक मंच पर लाना था और इसमें उन्हें सफलता भी मिली है. अब उनकी कोशिश है कि आगामी चुनाव में सीटों पर इंडिया गठबंधन की तरफ से भाजपा के खिलाफ वन टू वन फाइट हो.
सीएम नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने संबंधी मदन सहनी के बयान पर उन्होंने कहा कि हमलोग कई बार कह चुके हैं कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं. 18 साल का उनका सीएम का शानदार रिकॉर्ड देखेंगे तो उनसे अच्छा रिकॉर्ड किसी का नहीं है.
संयोजक से बड़े हैं नीतीश: केसी त्यागी
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के निर्माता हैं, वे संयोजक से बड़े हैं. जब देश में गैर भाजपाई दल एक दूसरे को फूटी आंखों से देखने को तैयार नहीं थे, उस समय नीतीश कुमार ने पटना में सभी नेताओं को बैठाकर गैर भाजपा आंदोलन और संगठन की शुरुआत की थी. ऐसे में वे संयोजक से बड़े पद पर पहले से आसीन हैं.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट की जारी, 88 कैंडिडेट्स का है नाम
MP Congress Candidate List 2023: मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस ने दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में 88 उम्मीदवार हैं. पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवार बदले हैं.
वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रजापति का टिकट काटने के बाद कांग्रेस ने उन्हें गोटेगांव से फिर उतारा. पहली लिस्ट में प्रजापति का टिकट कट गया था लेकिन दबाव के कारण दूसरी सूची में गोटेगांव से कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल कर प्रजापति को फिर से मौका दे दिया.
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा और मतगणना 3 दिसंबर को होगी.
Congress releases the list of party candidates for 88 constituencies for the #MadhyaPradeshElections2023. pic.twitter.com/LGNCWpbZ9C
— Press Trust of India (@PTI_News) October 19, 2023