Crime News: बिहार के नालंदा में एक महिला का रविवार को शव मिला है. वहीं, इस घटना के बाद महिला का पति फरार हो चुका है. इधर, महिला की आठ साल की बेटी ने वारदात को लेकर जानकारी दी है. उसने अपने मामा को बताया है कि उसके पापा ने उसकी मां की हत्या कर दी है. इससे पहले उसकी मां के साथ मारपीट की गई थी
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बिहार: अशिक्षा की कोख से हुआ ‘पकड़ुआ विवाह’ का जन्म, कई सामाजिक परेशानी का कारण, जानिए जबरन शादी की वजह
प्रो. सुनील राय, पूर्व निदेशक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज पटना. पकड़ुआ विवाह सामाजिक समस्या है. इसका जन्म अशिक्षा और गरीबी की कोख से हुआ है. इस तरह के जबरिया विवाह कई तरह की सामाजिक समस्याओं को जन्म देते हैं. जबरिया विवाह कभी भी पारिवारिक प्रेम, सामाजिक जुड़ाव और सभ्य परंपराओं के वाहक साबित नहीं हुए हैं. दहेज से बचने का यह सबसे खतरनाक आपराधिक तरीका है. मेरे अध्ययन का निष्कर्ष रहा है कि पकड़ुआ शादियों का सबसे ज्यादा भावनात्मक नुकसान इससे प्रभावित लड़कियां को होता है. लड़के और उनके परिवार जबरिया विवाहित लड़कियों को मन से कभी स्वीकार नहीं कर पाते हैं. दूसरी तरफ, लड़कों की मनोदशा पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है. कई बार वे आत्मघाती कदम उठाते देखे गये हैं. पकड़ुआ विवाह की केस स्टडी बताती हैं कि जिन लोगों ने भी पकड़ुआ विवाह को किसी भी तरह से मान्यता दी है, उनमें सामाजिक और नैतिक मूल्यों का अभाव रहा है. बिहार के लिए विडंबना है कि पकड़ुआ विवाह को कई नासमझ लोग महिमा मंडित भी करते हैं.
20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जबरिया विवाह ने पकड़ा जोर
सच्चाई यह है कि इस तरह के जबरिया विवाह का सीधा संबंध गरीबी और बेरोजगारी से है. मैं देखता हूं कि इस तरह के जबरिया विवाह में असामाजिक तत्वों की खास भूमिका होती है. यह समाज का विद्रूप चेहरा है. इस तरह के विवाह का अस्तित्व बहुत पुराना नहीं है. 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसने जोर पकड़ा. यह वह दौर था, जब दहेज की प्रवृत्ति में तेजी और बेरोजगारी का भयावह दौर शुरू हुआ था. पकड़ुआ विवाह के शिकार लड़के- लड़कियों की औसत उम्र 20 से 25 साल की होती है. इनमें 95 फीसदी लड़कियों के परिवार की माली हालत खराब होती है. लड़के भी संपन्न परिवारों के नहीं होते हैं. केवल सरकारी नौकरी या थोड़ी बहुत अच्छी सैलरी वाले लड़के ही इस कुप्रथा या प्रवृत्ति के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. दरअसल, समाज का एक वर्ग दहेज से बचने के लिए विवाह कराने का यह रास्ता चुनता है. दुर्भाग्य है कि इस तरह के विवाह के खिलाफ पूरा समाज प्रभावित पक्ष के साथ खड़ा नहीं दिखता. इस तरह के विवाह में मददगार ”” पेशेवर”” गिरोह काफी असरदार होते हैं.
‘कानून को लेना चाहिए प्रभावी एक्शन’
मुझे पूरी उम्मीद है कि आज का बिहार बदल गया है. यहां के युवक- युवतियां इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे. वह जान लगाकर पढ़ रहे हैं. बड़ी मेहनत करके बड़ा मुकाम हासिल कर रहे हैं. जबरिया विवाह को रुकवाने के लिए राजनीतिक प्रयासों की भी जरूरत है. गरीबी ओर अशिक्षा खत्म करने के लिए राज्य को विकसित बनाने की जरूरत है. इसके लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष आर्थिक पैकेज चाहिए. वहीं, कानून को भी इस तरह के विवाह के खिलाफ प्रभावी एक्शन लेना चाहिए, ताकि कोई असामाजिक तत्व इसमें सहायक नहीं बन सके.
Bihar Breaking News Live: आज से दूसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा, 10 जिलों में नहीं होंगे सेंटर
आज से दूसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा, 10 जिलों में नहीं होंगे सेंटर
आज से दूसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा है. 28 जिलों में शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा का एग्जाम सेंटर होगा. जबकि, 10 जिलों में सेंटर का निर्माण नहीं किया गया है. केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त होने वाली है.