बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
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बॉम्बे हाईकोर्ट में गुरुवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने आरोपी महेश राउत को जमानत दे दी है। पीठ ने कहा, वह एनआईए की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ है कि राउत ने प्रतिबंधित संगठन में लोगों को भर्ती करने का अपराध किया है। जिन लोगों पर संगठन में भर्ती होने या शामिल होने का आरोप है,उनमें से किसी का भी कोई सबूत नहीं है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, अधिक से अधिक यह कहा जा सकता है कि राउत सीपीआई (माओवादी) का सदस्य था।
पीठ ने कहा, राउत पांच साल से अधिक समय से प्री-ट्रायल कैद में थे और उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसके साथ ही पीठ ने राउत को जमानत के तौर पर एक लाख रुपये की जमानत राशि भरने का निर्देश दिया। साथ ही कहा, राउत मुंबई छोड़कर बाहर नहीं जा सकते हैं, यदि वे बाहर यात्रा करना चाहते हैं तो उन्हें विशेष एनआईए अदालत से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
राउत ने जमानत की मांग करते हुए 2022 में उच्च न्यायालय का रुख किया था। राउत ने विशेष एनआईए अदालत द्वारा उन्हें जमानत न देने के आदेश को चुनौती दी थी। राउत ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी हिरासत अनुचित थी।