Gyanvapi Survey Case: : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर को बहाल करने की मांग करने वाले मुकदमे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई के लिए 8 नवंबर, 2023 की तारीख तय की है. अंजुमन इंतजामिया और अन्य पक्षों ने मुकदमे की वैधता को चुनौती देते हुए ये याचिकाएं दायर की हैं. इसके अलावा इन याचिकाकर्ताओं ने वाराणसी की एक अदालत के एक निर्देश पर भी आपत्ति जताई है. इस निर्देश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मस्जिद परिसर का विस्तृत सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया.सोमवार को अदालती कार्यवाही के दौरान, यह अदालत के ध्यान में लाया गया कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (एआईएमसी) ने इस अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) प्रस्तुत की है. मुख्य न्यायाधीश, जिन्होंने पहले एकल न्यायाधीश से मामलों की सुनवाई वापस ले ली थी और फैसला सुरक्षित रखा था, ने इस एसएलपी के लिए 6 नवंबर, 2023 को सुनवाई निर्धारित की है.
Allahabad High Court
शवों से रेप, मानव मांस खाया, 19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या- आरोपी सुरेंद्र-मोनिंदर बरी
Nithari Killings: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर 2023) को नोएडा के बहुचर्चित निठारी मामले में मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को राहत देते हुए बरी कर दिया. इसके साथ ही सह अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को भी दो मामलों में हाई कोर्ट ने बरी कर दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से दोनों को फांसी की सजा देने के आदेश पर रोक लग गई. हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों अभियुक्तों को बरी किया.
सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को ट्रायल कोर्ट ने हत्या और बलात्कार के आरोपों में फांसी की सजा सुनाई थी. पंढेर और कोली ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में विफल रहा. आइए जानते हैं कि नोएडा के निठारी कांड से जुड़े तमाम सवालों के जवाब…
शवों से रेप करता था आरोपी
इस मामले की जांच के दौरान आरोपी कोली के ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट किए गए. टेस्ट के दौरान उसने कहा कि सभी मौतें गला घोंटने से हुई थीं. शवों को अपने निजी शौचालय में ले जाने और उनके टुकड़े-टुकड़े करने से पहले वह उनके साथ बलात्कार करता था.
मानव मांस खाया
निठारी का सनसनीखेज मामला उस समय सामने आया था, जब 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में पंढेर के मकान के पीछे ड्रेन में आठ बच्चों के कंकाल पाए गए. कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सुरेंद्र कोली पर पीड़ितों के शरीर के अंगों को खाने के आरोप भी लगे.
19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या का आरोप
मोनिंदर सिंह पंढेर के मकान के पास से बरामद किए गए मानव अवशेषों के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं कई मामले दर्ज किए गए थे. कोली और पंढेर पर 19 महिलाओं-बच्चों से बलात्कार और हत्या का आरोप लगा था.
14 साल से फांसी की सजा झेल रहे सुरेंद्र-मोनिंदर बरी
13 फरवरी 2009 को सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के आरोपों में दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई.
2006 में खुला था मामला
2005 और 2006 के बीच नोएडा में निठारी कांड की आहट सुनाई दी. इन दो सालों में कई बच्चे और महिलाओं के गायब होने की खबरें आती रहीं. इसी दौरान दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी में एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे.
सीबीआई ने की थी केस की जांच
मोनिंदर सिंह पंढेर इस मकान का मालिक था और सुरेंद्र कोली उसके यहां नौकरी करता था. पंढेर के मकान के आसपास के क्षेत्र में ड्रेन में तलाशी के बाद और कंकाल पाए गए. इनमें से ज्यादातर कंकाल गरीब बच्चों और युवतियों के थे, जो उस इलाके से लापता थे. दस दिनों के भीतर ही सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया.
19 मामले हुए थे दर्ज
कोली और पंढेर के खिलाफ सीबीआई की जांच के बाद अलग-अलग धाराओं में 19 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें रेप, कत्ल, अपहरण, सबूतों से छेड़छाड़ जैसे संगीन आरोप थे.
(इनपुट पीटीआई-भाषा से भी)
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लखनऊ के थानों में काम नहीं कर रहे CCTV कैमरे, हाई कोर्ट ने कमिश्नर को दिए ये निर्देश
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को राजधानी के कुछ थानों में में CCTV कैमरों के काम न करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस एन. के. जौहरी की पीठ ने रजत बाजपेयी की रिट याचिका पर अपने आदेश में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर को मामले पर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। हाई कोर्ट ने चिनहट थाने में कथित हिरासत में हिंसा के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त (पूर्वी) सैय्यद अली अब्बास की एक रिपोर्ट पर आश्चर्य जताया जिसमें कहा गया है कि CCTV कैमरे कुछ दिनों से काम नहीं कर रहे थे।
‘यह गंभीर चिंता का विषय है’
अदालत ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान उसने पाया कि घटना के समय SGPGI थाने के CCTV कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे। बेंच ने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है।’ याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मटियारी-देवा रोड क्रॉसिंग पर उसकी मोटरसाइकिल की पार्किंग को लेकर उसके और पुलिस के बीच हुए विवाद के बाद पुलिसकर्मियों ने उसे चिनहट थाने ले जाकर उसे प्रताड़ित किया था। बेंच ने जब थाने की हवालात की CCTV फुटेज तलब की तो उसे बताया गया कि घटना वाले दिन से कुछ दिन पहले से कैमरे काम नहीं कर रहे थे।
दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई के निर्देश
हाई कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्नर से इस मामले पर गौर करने को कहा और चिनहट थाने के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख तक इस बात की रिपोर्ट भी मांगी है कि कि CCTV कैमरे आखिर क्यों काम नहीं कर रहे हैं। इससे पहले, पुलिस ने कहा था कि याचिकाकर्ता के पिता और भाई हाई कोर्ट में वकील हैं और जब उन्हें सड़क पर अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करने से रोका गया और थाने ले जाया गया तो उन्होंने तमाशा खड़ा कर दिया।
मेडिकल रिपोर्ट में हुई चोट की पुष्टि
हालांकि बेंच ने पाया कि उसके निर्देश पर डॉक्टर द्वारा दी गई मेडिकल रिपोर्ट से पता चला कि याचिकाकर्ता के दोनों पैरों में कठोर और कुंद चीज से खरोंच और चोट आई थी। बेंच को बताया गया कि पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में दारोगा रमेश चंद्र यादव और प्रभारी निरीक्षक आलोक राव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, तो बेंच ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ 2 सिपाहियों राहुल कुमार और विशाल सिंह का ट्रांसफर पर्याप्त नहीं है, क्योंकि याचिका में उनके खिलाफ हिरासत में हिंसा करने का आरोप लगाया गया था।
अदालत ने रिपोर्ट पेश करने को कहा
अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका में दोनों सिपाहियों को विरोधी पक्ष बनाने के लिए कहते हुए पुलिस से 20 सितंबर को उसके समक्ष की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।