अनिल एंटनी, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर जैसे युवा नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जबकि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने अपनी पार्टी बना ली है।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया
MP Congress 4th Candidate List: दिग्विजय सिंह लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने किसे कहां से उतारा; पूरी लिस्ट
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MP Congress 4th Candidate List: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में कांग्रेस ने कई दिग्गजों को टिकट दिया है। दिग्विजय सिंह राजगढ़ से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा पार्टी ने कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव को भी टिकट दिया है। कांतिलाल भूरिया रतलाम और अरुण यादव गुना से चुनावी मैदान में उतरेंगे। गुना से बीजेपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में हैं।
छिंदवाड़ा से कांग्रेस नकुलनाथ को पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इसके अलावा कांग्रेस की चौथी सूची में अरुण श्रीवास्तव, महेश परमार और दिलीप सिंह गुर्जर के नाम भी शामिल हैं। चौथी लिस्ट में कांग्रेस ने 46 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें मध्य प्रदेश से 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में होने हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मध्य प्रदेश में चार फेज में वोटिंग होगी। पहले चरण में 19 अप्रैल को 6 सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मांडिया, बालाघाट और छिंदवाड़ा सीट पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 7 सीटों टीकमगढ़, दामोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतुल सीट पर मतदान होगा। जबकि तीसरे चरण के लिए 7 मई को 8 सीटों मुरौना, भींड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ सीट पर वोट डाले जाएंगे और चौथे और आखिरी चरण के तहत 13 मई को 8 सीटों देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा सीट पर मतदान होगा।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने सभी 29 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने अपनी दूसरी सूची में एमपी में 10 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था।
राजस्थान, MP और छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? पीएम मोदी से मिले अमित शाह
BJP CM Face: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के बाद सवाल है कि आखिर राज्य की कमान किसे मिलेगी? इस बीच बुधवार (6 दिसंबर) को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चर्चा की. पीएम मोदी से मुलाकात के कुछ घंटो बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह की बैठक हुई.
जेपी नड्डा ने बीजेपी के महासचिवों के साथ भी बैठक की. विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद हुई पहली बैठक के बाद वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि आज दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यालय में आयोजित बैठक में सहभागिता कर पार्टी की आगामी रणनीति पर मंथन किया.
मध्य प्रदेश में किसे कमान?
इससे पहले सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों को बीजेपी सीएम बना सकती है. इसके बाद सवाल उठे कि क्या पार्टी अब आगे शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह को मौका नहीं देगी. सूत्रों ने बताया कि पार्टी उन नेताओं को भी मुख्यमंत्री बना सकती है जो विधायक नहीं हैं.
इस बीच विधानसभा चुनाव जीतने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल समेत 10 सांसदों ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया, माना जा रहा है कि ये सभी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार में शामिल होंगे. इसके साथ ही इन सांसदों के इस्तीफे ने एक और सवाल खड़ा किया है कि क्या इन्हीं नेताओं में से मुख्यमंत्री का चुना जाएगा. हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है.
किन सांसदों से दिया इस्तीफा?
इस्तीफा देने वालों में नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल के साथ जबलपुर के सांसद राकेश सिंह, सीधी की सांसद रीती पाठक, होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह, राजस्थान के राजसमंद की सांसद दीया कुमारी, जयपुर के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा, छत्तीसगढ़ के अरुण साव और गोमती साय शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह भी जल्द संसद की सदस्यता से इस्तीफा देंगे.
बीजेपी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में सात-सात, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा था. इनमें से 12 ने जीत दर्ज की है.
सांसदों ने इस्तीफा देने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. जल्द ही नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल केंद्रीय मंत्री पद से भी इस्तीफा देंगे. तोमर कृषि विभाग संभाल रहे हैं, पद छोड़ने से पार्टी के भीतर एक नई चर्चा छिड़ गई है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने पीएम मोदी कैबिनेट में नए सदस्यों को शामिल करेंगे.
राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राजस्थान के नए मुख्यमंत्री को लेकर पार्टी में अटकलें हैं कि शीर्ष नेतृत्व तीन में किसी एक निवर्तमान सांसद को यह जिम्मेदारी सौंप सकता है. विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद वसुंधरा राजे 25 से अधिक विधायकों के साथ बैठक कर राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी शक्ति दिखा चुकी हैं.
दिल्ली दौरे पर वसुंधरा राजे
इस बीच सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व को पार्टी लाइन के साथ रहने का भरोसा दिया है. उन्होंने कहा कि वो पार्टी के फैसले के साथ रहेंगी. इस बीच राजे दिल्ली के दौरे पर हैं. राजे खेमे के सूत्रों ने बताया कि वह गुरुवार (7 दिसंबर) को पार्टी आलाकमान से मुलाकात करेंगी. हालांकि वसुंधरा राजे ने कहा कि अपनी बहू को देखने जा रही हूं.
बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री का नाम संसदीय बोर्ड तय करेगा और उससे पहले पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी.
वहीं छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह (71) के बारे में भी चर्चा है, लेकिन पार्टी में एक राय है कि बीजेपी नेतृत्व राज्यों के नेतृत्व में बदलाव की तलाश में है. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम तय करने में सामाजिक समीकरण का खास ख्याल रखेगी.
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‘जनादेश तो स्वीकार लेकिन…’, मध्य प्रदेश में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय से हार पर क्या बोले
Madhya Pradesh Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी ने कांग्रेस को करारी मात दी है. राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने बहुमत के आंकड़े 116 से अधिक 164 सीटों पर जीत दर्ज की है. दूसरी ओर कांग्रेस सिर्फ 65 सीट पर सिमट गई है. राज्य में कांग्रेस के जिन नेताओं की शिकस्त हुई है उसमें इंदौर -1 से चुनाव लड़ने वाले संजय शुक्ला का नाम सुर्खियों में है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस में संजय शुक्ला उन नेताओं में शामिल हैं जो पार्टी के सबसे विश्वस्त सिपहसलार माने जाते हैं. पार्टी उन पर आंख मूंद कर भरोसा करती है. अब जबकि मध्य प्रदेश चुनाव के परिणाम स्पष्ट हो गए हैं. इंदौर 1 विधानसभा सीट से उन्हें बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय ने 57939 वोटों के अंतर से हराया है.
हार स्वीकार लेकिन धांधली के लगाए आरोप
संजय शुक्ला ने अपनी हार तो स्वीकार की है, लेकिन धांधली के भी आरोप लगाए हैं. एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा है, “जनता ने जो जनादेश दिया है, वह मुझे स्वीकार है.”
मतगणना में हेर फेर की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा, “जिन क्षेत्रों से मैं लीड कर रहा था या जिन मतदान केंद्रों से जीता हूं, वहां पुरुषों के वोट तो मुझे मिले हैं लेकिन महिलाओं के वोट नहीं मिले. ऐसा कभी नहीं होता है कि परिवार के लोग अलग-अलग वोट दें.”
हालांकि उनसे जब पूछा गया कि इस तरह की धांधली के खिलाफ उन्होंने कहीं कोई शिकायत दर्ज कराई है या नहीं, तो इसके जवाब में संजय शुक्ला ने कहा कि फिलहाल कहीं कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. जनता का जनादेश मुझे स्वीकार है.”
हार के कारणों को समझने के लिए आत्म मंथन करेगी पार्टी
राज्य में कांग्रेस की हार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि क्यों पार्टी हारी है, इस बारे में हम लोग बैठकर मंथन करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी सूबे में विपक्ष की भूमिका बखूबी निभाएगी.
मतगणना से पहले कमलनाथ ने बुलाया था भोपाल
आपको बता दें कि इंदौर-1 सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय में संजय शुक्ला को करारी शिकस्त दी है. हालांकि रविवार (3 दिसंबर) को मतगणना शुरू होने से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने संजय शुक्ला को भोपाल बुला लिया था. शुक्ला उन नेताओं में शामिल हैं जो राज्य में पार्टी की हर रणनीति के सूत्रधार रहे हैं.
पार्टी सूत्रों ने बताया था कि मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस विधायकों को संभावित तौर पर तोड़ने की कोशिश रोकने के लिए शुक्ला को जिम्मेदारी दी गई थी. विधायकों को किसी दूसरे राज्य में शिफ्ट किए जाने की योजना थी, जिन्हें ले जाने और सुरक्षित रखने का काम संजय शुक्ला को दिया जाना था. हालांकि दोपहर बाद जब पार्टी की हार स्पष्ट होने लगी थी तो इस तरह की कोशिशों की जरूरत नहीं पड़ी.
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‘काबिलियत को कद से तोलने वाले…’, प्रियंका गांधी के ‘हाइट कम’ वाले बयान पर सिंधिया का पलटवार
Priyanka Gandhi Vadra: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जुबानी जंग हुई है. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर शब्दों के बाण चलाए हैं. दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी के बीच मध्य प्रदेश में सियासी घमासान चल रहा है. दोनों ही पार्टियां मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए जी-जान लगा रही हैं. इस बीच प्रियंका ने सिंधिया पर एक रैली में जब तंज कसा तो केंद्रीय मंत्री भी पलटवार करने में पीछे नहीं हटे.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा है. हालांकि, बीजेपी की तरफ से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो कभी कांग्रेस के लिए वोट मांगा करते थे. ऐसा ही एक नाम है केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का, जिन्हें लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उनका कद छोटा है, लेकिन अहंकार बड़ा. इस पर सिंधिया ने पलटवार करते हुए उन्हें अहंकार पर शिक्षा देने से पहले खुद शीशे में जाकर अपना चेहरा देखना चाहिए.
प्रियंका ने क्या कहा?
एमपी के दतिया में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा, ‘बीजेपी के सभी नेता थोड़े अजीब हैं. सबसे पहले हमारे सिंधिया हैं. मैंने उनके साथ उत्तर प्रदेश में काम किया है. असल में उनकी हाइट थोड़ी छोटी है, मगर अहंकार तो वाह भई वाह है.’ प्रियंका ने आगे कहा, ‘उनके पास जाने वाले हर कार्यकर्ता का यही कहना रहा है कि हमें उन्हें महाराज कहना पड़ता है और अगर हम ऐसा नहीं कहते हैं, तो हमारे मुद्दे को नहीं सुलझाया जाता है.’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘उन्होंने अपने परिवार की परंपरा का बखूबी पालन किया. गद्दारी तो बहुतों ने की, लेकिन उन्होंने ग्वालियर और चंबा की जनता से गद्दारी की और सरकार गिरा दी.’
सिंधिया का पलटवार
प्रियंका गांधी पर पलटवार करते हुए सिंधिया ने कहा कि अहंकार पर पाठ पढ़ाने से पहले उन्हें आईना देखने की जरूरत है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, ‘प्रियंका गांधी पार्ट-टाइम नेत्री हैं तो इन दो परंपराओं के फर्क को समझने की उनमें क्षमता हो, इसकी आशा मैं नहीं करता – किस परिवार के सपूतों ने अफगानों से लेकर मुगलों और अंग्रेजों तक से भारत माता की रक्षा हेतु अपनी जान की कुर्बानी दी थी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘किसने चीन से भारत की रक्षा करना तो दूर, उन्हें भारतीय जमीन ही भेंट के रूप में दे दी थी? किस परिवार की दूसरी पीढ़ी ने सत्ता के लोभ में इमरजेंसी लगाई थी? और आज भी किस परिवार की वर्तमान पीढ़ी स्वयं विदेशी मंचों पर जाकर देश को बदनाम कर रही है? काबिलियत को कद से तोलने वाले अहंकार का पाठ पढ़ाने से पहले, कृपया स्वयं आईने में झांक लें.’
केंद्रीय मंत्री ने लिखा, ‘भ्रष्टाचारियों और वादाखिलाफियों के शासन को बार-बार सिंधिया परिवार ने बदला है, और दोबारा आपका सूपड़ा साफ मध्यप्रदेश से जनता करने जा रही है.’
क्यों कांग्रेस रहती है सिंधिया से नाराज?
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में बीजेपी का दामन थाम लिया था. सिंधिया को लेकर कहा जाता है कि उनकी राज्य की मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रही है. जब 2018 में कांग्रेस को जीत मिली, तो राहुल गांधी ने उन्हें पीछे हटकर सीएम पद कमलनाथ को देने की बात कही. ऐसा ही हुआ और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने. मगर दो साल सरकार चलने के बाद सिंधिया 20 विधायकों संग बीजेपी में शामिल हो गए. इस वजह से कांग्रेस की सरकार गिर गई.
इस तरह राज्य में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनी. तब से बीजेपी की सरकार ही चली आ रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री भी बनाया है. हालांकि, सिंधिया इस बात से इनकार करते रहे हैं कि वह सीएम बनना चाहते हैं. मगर जिस तरह से बीजेपी ने एमपी के लिए सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया है. उससे संभावनाओं को बल भी मिल रहा है.
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