मैं हैरान हूं कि इज़राइल में हमास के वहशीपन की तस्वीरें देखने के बाद भी कुछ लोग और संगठन उसे डिफेंड करने में लगे हैं. छोटे-छोटे मासूम बच्चे की चीखें सुनने के बाद भी कुछ लोगों का दिल नहीं दहला. मां बेटियों को मारकर उनके कपड़े उतारकर नुमाइश करने वाले दहशतगर्दों को कई जगह सपोर्ट मिला. ये निहायत ही शर्मनाक है. क्योंकि ये कोई जंग नहीं है. ये इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच का संघर्ष नहीं है. हमास ने जो किया वो इंसानियत पर हमला है, वहशियत की इंतहा है. और ऐसा करने वालों ने मज़हब की आड़ ली. जुल्म करते समय अल्लाह हु अकबर के नारे लगाए. ये और भी बड़ा अपराध है. दुनिया का कोई धर्म इस तरह की वहशियाना हरक़त की इजाज़त नहीं देता. जो लोग ऐसे क़त्ल कर रहे हैं, वे सच्चे मुसलमान नही हो सकते. और ये जंग किसी मुल्क की आबरू के लिए भी नहीं है. मुल्कों की जंग फौजें लड़ती है. मासूम बच्चों, बेबस औरतों और बीमार लोगों से नहीं. ये सही है कि हमास के इस हमले से मोसाद की साख को बट्टा लगा है. अब वो कैसे दावा करेंगे कि वो दुनिया की सबसे चतुर चालाक इंटेलिजेंस एजेंसी है? ये भी सही है कि हमास ने इज़राइल पर घर में घुसकर जो हमला किया उससे इज़राइली फौज की काबिलियत पर भी सवाल उठेंगे.
अब तक तो ये कहा जाता था कि इजराइल की फौज के पास ऐसा नेटवर्क है जो दुश्मन को दूर से ही पहचान लेता है. अब तक तो ये माना जाता था कि इजराइल की डिफेंस इतनी मजबूत है कि कोई उसमें सेंध नहीं लगा सकता. लेकिन हमास ने ये करके दिखाया. लेकिन सवाल ये है क्या हमास को इसका फायदा होगा? अगर एक मिनट के लिए इंसानियत को छोड़कर हमास के एक्शन को रणनीति के हिसाब से देखा जाए, तो भी इस जंग से उन्हें क्या हासिल होगा? क्या इजराइल डर जाएगा? क्या इजराइल फिलिस्तीनी इलाकों को खाली करके भाग जाएगा? असल में जो हो रहा है और जो होगा वो इसका बिलकुल उल्टा है. अब इज़राइल की थल सेना और वायु सेना अपनी ताकत दिखा रही है. पांच दिन से गाजा पर ज़बरदस्त हमले हो रहे हैं और ये जंग हमास को बहुत महंगी पड़ेगी. इस खूनी संघर्ष से किसी को कोई फायदा नहीं होगा. इसलिए इस जंग को खुले दिमाग से समझने की ज़रूरत है. इस मारकाट को इंसानियत की नजरों से देखने की ज़रूरत है. वक्त का तक़ाजा है कि कोई भी दहशतगर्दों का साथ न दे. बेकसूर बच्चों, बेटियों और बेबस नागरिकों पर ज़ुल्म करने वालों का कोई समर्थन न करे. इस वक्त ढाई लाख लोग गाज़ा में अपने घरबार छोड़ कर इधर-उधर भाग रहे हैं ताकि इज़राइली बमबारी से खुद को बचा सकें. अब तक 2,100 से ज़्यादा जानें जा चुकी है और ये युद्ध सीरिया और लेबनान में बैठे हिज़बुल्ला आतंकियों तक पहुंच चुका है. अकेले गाज़ा में 900 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, और उनमें 260 बच्चे और 230 महिलाएं शामिल हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमास द्वारा किये गये कत्लेआम को अमानवीय बताया है और कहा है कि उनका मुल्क इज़राइल का पूरी तरह साथ देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इज़राइल के पीएम बेन्जामिन नेतन्याहु से फोन पर बात की और कहा कि भारत की जनता पूरी तरह संकट की इस घड़ी में इज़राइल के साथ है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि वो फलस्तीनी अवाम की जायज़ समस्याओं को मानते हैं, लेकिन जिस तरह का आतंक बेगुनाह नागरिकों पर बरपाया गया उसे किसी भी सूरत में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. हमास के आतंकवादी आम नागरिकों को ढाल बना कर छुपे हुए हैं और वो चाहते हैं कि गाज़ा में ज्यादा से ज्यादा नागरिक मरें ताकि दुनिया शनिवार को हुई आमानवीय घटनाओं को भूल जाए. हमास द्वारा किये गये ज़ुल्मों को किसी भी रूप से उचित नहीं ठहराया जा सकता. इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. (रजत शर्मा)
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