22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई। तब से अब तक रामलला को दान में करोड़ों रुपये मिल चुके हैं। इन 11 दिनों में 25 लाख श्रद्धालु राम मंदिर पहुंचे हैं।
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अयोध्या न्यूज
Ram Mandir Pran Pratishtha: 114 कलश के औषधीय जल से हुआ श्री राम का स्नान, प्राण प्रतिष्ठा कल
अयोध्या: श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान छठवें दिन रविवार को सुबह नौ बजे शुरू हुआ. 114 कलशों में औषधियुक्त एवं देश के विभिन्न तीर्थों से लाये गये पवित्र जल से श्रीरामलला की मूर्ति का स्नान कराया गया. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में नित्य के पूजन, हवन और पारायण के साथ अनुष्ठान प्रक्रिया शुरू हुई. श्री रामलला के विग्रह को मध्याधिवास में रखा गया. रविवार को ही रात्रि जागरण अधिवास भी हुआ. यज्ञशाला में श्रीरामलला के पुराने विग्रह की भी पूजा चल रही है. चेन्नई, पुणे सहित कई स्थलों से मंगाये गये विविध फूलों से पूजन.
रविवार की पूजा में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से अनिल मिश्र सपरिवार और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह एवं अन्य लोग शामिल थे. प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की प्रक्रिया 16 जनवरी को दोपहर बाद सरयू नदी से शुरू हुई थी. 17 जनवरी को श्रीरामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में आगमन हुआ था. सोमवार 22 जनवरी दोपहर अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सम्पन्न होगा. प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
Ayodhya Ram Mandir: पीलीभीत के मुस्लिम कारीगरों ने रामलला के लिए बनाई विश्व की सबसे लंबी बांसुरी, जानें खासियत
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का 22 जनवरी को होनी है. इसको लेकर पूरे देश का माहौल राममय है. जोरों-शोरों से तैयारी चल रही हैं. ऐसे में बांसुरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी का जिला पीलीभीत कैसे अछूता रह जाता. बांसुरी के लिए मशहूर पीलीभीत के मुस्लिम कारीगरों ने विश्व की सबसे बड़ी बांसुरी का तैयार किया है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन पीलीभीत की बांसुरी भी अयोध्या में अपना जलवा बिखरेगी. शुक्रवार को इस बांसुरी का पूजन करने के बाद अयोध्या भेज दिया गया. इसे बनाने वाली हिना परवीन ने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि जिस मंदिर की विश्वभर में चर्चा हो रही है, वहां हमारी बांसुरी जा रही है. शहर में विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने डीएम की मौजूदगी में 21 फीट 6 इंच की बांसुरी का पूजन किया. इसके साथ ही सभी ने जय श्री राम के नारे लगाते हुए खुशी जाहिर की.
राम जी और कान्हा जी एक ही अवतार है- हिना परवीन
शहर की रहने वाली हिना परवीन ने अपने बेटे और देवर की मदद से इस बांसुरी का निर्माण किया है. उन्होंने ही इसे विश्व की सबसे लंबी बांसुरी होने का दावा किया है. इसके साथ ही जिले के लोग भी इस बात पर हामी भरते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब से हमें पता चला कि राम मंदिर की स्थापना हो रही है, हम इस बांसुरी को बनाना चाहते थे. यह बांसुरी 21 फीट 6 इंच की है. पीलीभीत में इससे पहले 16 फीट की बांसुरी का रिकॉर्ड था. अब यह विश्व की सबसे बड़ी बांसुरी है. अब अयोध्या में भेजने के लिए हमने इसे विहिप को भेज दिया है. आज बांसुरी पूजन हो रहा है. इसके बाद पीलीभीत में इस बांसुरी का भ्रमण होगा, फिर श्री राम मंदिर के लिए यह बांसुरी जाएगी. हिना परवीन ने आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण का बांसुरी से खास नाता है. सभी जानते हैं. मथुरा में हमारी बांसुरी जाती रही हैं. कान्हा जी से हमारा बहुत पुराना रिश्ता है. यह वाद्य यंत्र कान्हा जी से शुरू होता है, उन्हीं से हमारा कारोबार है. इसलिए हमारा उनसे बहुत पुराना रिश्ता है. राम जी और कान्हा जी एक ही अवतार है. राम जी के दरबार में सभी चीजें जा रही हैं, तो हमारी बांसुरी भी वहां होनी चाहिए. बस यही वजह है कि हमने इस बांसुरी को श्री राम मंदिर के लिए बनाया है.
20 साल पूराने असम के बांस से तैयार हुआ है यह बांसुरी- हिना परवीन
हिना परवीन कहती हैं कि यह हमारा पुश्तैनी काम है. 20 साल पहले मेरे पति असम से खास तरह का बांस लेकर आए थे. इसके बाद मैंने उसी बांस से अपने राम जी के लिए यह बांसुरी बनाई है. बांसुरी नगरी के सबसे हुनर कारीगर अपने देवर शमशाद को बुलाया. उन्होंने इस बांसुरी में सुर डाला है. विश्व हिंदू परिषद ने हमारी पूरी मदद की. हमारे दिल में उत्साह था, अब यह उत्साह दोगुना हो गया है. मैं धन्य हो गई. मेरे पति अभी इस दुनिया में नहीं है. वहीं हिना परवीन के देवर शमसाद बांसुरी में सुर डालने का काम करते हैं. उन्होंने ही बांसुरी में सुर डाले हैं. इस पर शमशाद ने कहा कि इस बांसुरी के स्वर पूरी तरह से ठीक हैं. हारमोनियम या किसी भी वाद्य यंत्र की ताल हो, यह बांसुरी सभी से सुर से सुर मिला सकती है.वहीं हिना परवीन बताया कि हमें बड़ा और मोटा बांस चाहिए था. यह संजोग है कि हमारे पति नवाब अहमद जो बांस लाए थे, वह मिल गया. आश्चर्य तब हुआ, जब इतने साल पुराने बांस को ना घुन लगा, ना दीमक लगी और ना यह कहीं से डैमेज हुआ. शायद राम जी की कृपा ही रही. यह बांस अभी भी असम में नहीं मिल सकता. मैं ऐसा दावे के साथ कह सकती हूं कि इस बांसुरी के बांस का अब मिलना मुमकिन नहीं है. सब संयोग की बात है, पता नहीं क्यों मेरे दिवंगत पति इस बांस को लाए थे और इसका कभी प्रयोग नहीं हुआ, शायद यह राम जी के लिए ही आया था. वहीं डीएम प्रवीण कुमार ने कहा कि इस बांसुरी के लिए गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड से संपर्क किया गया है. शुक्रवार को इसका पूजन किया गया है. अब यह अयोध्या के लिए भेजी जा रही है. अब जल्द ही इसे विश्व की सबसे बड़ी बांसुरी के रूप में दर्ज कराने की कवायद होगी.
Ram Mandir Pran Pratishtha: श्री रामलला की मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित, कल प्राण प्रतिष्ठा का चौथा दिन
अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि स्थित मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की स्थापना के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा का तीसरे दिन का अनुष्ठान संपन्न हो गया. गुरुवार को दोपहर 12.30 बजे के बाद राममूर्ति का मंदिर गर्भ गृह में प्रवेश हुआ. दोपहर 1.20 बजे यजमान के प्रधानसंकल्प होने के बाद वेद मंत्र पढ़े गए. मंत्रों की ध्वनि से मंदिर का वातावरण मंगलमय हो गया. गुरुवार को रामलला मूर्ति के जलाधिवास तक के कार्य पूरे हो गए. प्राण प्रतिष्ठा का चौथे दिन का अनुष्ठान शुक्रवार सुबह 9 बजे शुरू होगा.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार 19 जनवरी शुक्रवार को सुबह 9 बजे से प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू होगा. पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन, द्वारपालों द्वारा सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुंड पूजन, पञ्चभूसंस्कार होगा. अरणिमंथन से प्रगट हुई अग्नि की कुंड में स्थापना की जाएगी. इसके बाद ग्रहस्थापन, असंख्यात रुद्रपीठस्थापन, प्रधानदेवतास्थापन, राजाराम-भद्र-श्रीरामयंत्र- बीठदेवता -अङ्गदेवता – आवरणदेवता – महापूजा, वारुणमंडल, योगिनीमंडलस्थापन, क्षेत्रपालमंडलस्थापन, ग्रहहोम, स्थाप्यदेवहोम, प्रासाद वास्तुश्शांति, धान्याधिवास सायंकालिक पूजन व आरती होगी.
गुरुवार ये अनुष्ठान किए गए
इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन गुरुवार 18 जनवरी को पूजा की शुरुआत मध्याह्न 1.20 बजे संकल्प से होगी. उसके बाद गणेशाम्बिकापूजन, वरुणपूजन, चतुर्वेदोक्त पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, वसोर्धारापूजन (सप्त घृत मातृका पूजन), आयुष्यमन्त्रजप, नान्दीश्राद्ध होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार इसके बाद आचार्यादिचऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मण्डपप्रवेश, पृथ्वी- कूर्म- अनन्त- वराह-यज्ञभूमि-पूजन, दिग्ररक्षण, पञ्चगव्य – प्रोक्षण, मण्डपाङ्ग वास्तुपूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्रवेष्टन, दुग्ध- धारा, जलधाराकरण, षोडशस्तम्भपूजनादि मंडपपूजा (तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपालादिपूजा) होगा. रामलाल की मूर्ति का जलाधि वास, गन्धादिवास और फिर सायंकालिक पूजन एवं आरती होगी.
प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन बुधवार 17 जनवरी को अनुष्ठान जलयात्रा से शुरू हुई. भगवान श्री रामलला की मूर्ति की शोभायात्रा सम्पन्न हुई. मंडप में आनंद रामायण का पारायण शुरू हुआ. विग्रह को विधिविधान के साथ राम मंदिर परिसर में लाया गया. जय श्री राम के नारों और कड़ी सुरक्षा के बीच विग्रह एक ट्रक से हनुमान गढ़ी के रास्ते मंदिर परिसर तक ले जाया गया था.
Ayodhya Ram Mandir: पीएम मोदी ने की थी 32 साल पहले प्रतिज्ञा, राम मंदिर बनने पर ही अब आऊंगा अयोध्या
अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा. इस भव्य समारोह को यादगार बनाने की तैयारियों को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट और योगी और मोदी सरकार अथक प्रयास कर रहे हैं. साथ ही आम लोगों को भी इस समारोह से जोड़ा जा रहा है. इस बीच मोदी अर्काइव नाम के ट्विटर हैंडल से 32 साल पहले की ही कुछ तस्वीरें शेयर की गई हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या में पूजा-अर्चना करते हुए नजर आ रहे हैं. बता दें कि 15 जनवरी 1992 को पीएम मोदी मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या में राम मंदिर पहुंचे थे. उस वक्त भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ संघ के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक चल रहे एकता यात्रा में शामिल हुए थे. उस दिन उन्होंने ‘जय श्री राम’ का उद्घोष लगाकर एक अस्थायी टेंट में रखे रामलला की पूजा- अर्चना की. इस दौरान उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि राम मंदिर बनने पर ही वापस यहां आएंगे.
अब अयोध्या में भगवान राम का मंदिर का निर्माण कार्य जारी है और 22 जनवरी को इसके गर्भगृह पीएम मोदी की उपस्थिति में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस मंदिर की आधारशिला भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही रखी थी. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीन दशक पुराना शपथ पूरा हो रहा है. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए वैदिक अनुष्ठान 22 जनवरी को मुख्य समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू हो रहा है. प्राण प्रतिष्ठा करने से पहले पीएम मोदी ने 11 दिन का उपवास शुरू किया है, जिसमें नैतिक सिद्धांतों पर आधारित उपवास शामिल है. नैतिक आचरण, जिसमें नियमित प्रार्थना और योग शामिल है. ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.
नरेंद्र मोदी को मिली थी एकता यात्रा की जिम्मेदारी
बता दें कि दिसम्बर 1991 में कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी तांडव मचा रहे थे. यहां से कश्मीरी हिंदुओं को भागना पड़ा था. कश्मीर के अधिकांश हिस्से में आतंकवादी खुलेआम घूमते थे. इसी दौरान भाजपा के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी ने तय किया कि वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकालेंगे और श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराएंगे. इस यात्रा की प्रबन्धन की जिम्मेदारी तब नरेन्द्र मोदी को दी गई. नरेन्द्र मोदी के प्रबन्धन के अंतर्गत यह यात्रा 11 दिसम्बर 1991 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से निकली. इसके बाद यह यात्रा दक्षिण के राज्यों से होते हुए 15 जनवरी 1992 को उत्तर प्रदेश में अयोध्या पहुंची. यहां यात्रा में शामिल नेताओं ने राम जन्मभूमि पर दर्शन पूजन किए. तब बाबरी ढांचा नहीं गिरा था. इस यात्रा के एक वर्ष पहले ही यहां कारसेवकों पर गोलियां चलवाई गई थीं. इसलिए यहां का माहौल भी तनावपूर्ण था. नरेन्द्र मोदी यहां जब जन्मभूमि के दर्शन को पहुंचे तो वह ठिठक गए और टेंट में बैठे भगवान रामलला को काफी देर तक एकटक देखते रहे.
ऐसे पूरा किया अपना प्रतिज्ञा
अयोध्या में मीडिया से बातचीत के दौरान नरेन्द्र मोदी भावुक हो गए थे. मीडिया ने जब नरेंद्र मोदी से पूछा कि वह अब राम जन्मभूमि पर कब वापस आएंगे तो उनका का उत्तर था कि वे अब तभी वापस आएंगे, जब यहां मंदिर का निर्माण होगा. मुरली मनोहर जोशी के साथ उनकी अयोध्या में राम जन्मभूमि पर दर्शन करने की कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में 1992 में जो प्रण लेकर गए थे, सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर का रास्ता प्रशस्त होने तक निभाते रहे थे. वह 5 अगस्त 2020 को अयोध्या तब लौटे जब उन्हें उन्होंने राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए बुलाया गया. इस बीच वे अयोध्या तो कई बार आए, लेकिन रामजन्मभूमि नहीं गए. इस प्रकार उन्होंने अपनी शपथ पूरी की.