नवभारत न्यूज नेटवर्क
मुंबई: अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। 22 जनवरी 2024 को नवनिर्मित भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा (Inauguration of Ram mandir) की जानी है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, व प्रमुख साधु-संतों सहित देशभर से विभिन्न क्षेत्रों के करीब 7000 लोगों को राम मंदिर निर्माण समिति की ओर से निमंत्रण (Invitation) भेजे जाने की योजना है। मान्यवरों की सूची में मनसे प्रमुख राज ठाकरे का तो नाम है लेकिन शिवसेना (उद्धव गुट) के पक्षप्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का नाम शामिल नहीं है। इससे शिवसेना (उद्धव गुट) में जबरदस्त आक्रोश है।
जबरदस्त गुस्सा
बता दें कि अयोध्या में आयोजित मंदिर के उद्घाटन समारोह से मंदिर आंदोलन के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी को दूर रखने का प्रयास करने के कारण केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राम मंदिर निर्माण समिति की पहले ही आलोचना हो रही है। उस पर बाबरी मस्जिद विध्वंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के पुत्र को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम से दूर रखकर आयोजकों के मार्फत मोदी सरकार मंदिर का इस्तेमाल अपनी सियासी खुन्नस निकालने के लिए कर रही है, ऐसी चर्चा लोगों में चल रही है। इससे शिवसेना (उद्धव गुट) में भी जबरदस्त गुस्सा है।
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राज को निमंत्रण से भड़का उद्धव गुट
शिवसेना उद्धव गुट का गुस्सा तब और भड़क गया जब 16 विधायक, 5 सांसद होने के बावजूद उनकी पार्टी के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे को न्योता नहीं दिया गया। जबकि महज एक विधायक वाले सियासी दल ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ (मनसे) प्रमुख को न्योता भेजा गया है। ऐसा उद्धव गुट को नीचा दिखाने के लिए किया गया है, ऐसा उद्धव गुट का मानना है।
आज के ‘वीआईपी‘ तब कहां थे?
संजय राऊत, सासंद व प्रवक्ता, शिवसेना (उद्धव गुट) ने कहा, भाजपा द्वारा घोषित विष्णु के तेरहवें अवतार, भगवान श्री राम को हाथ पकड़ कर मंदिर तक ले जा रहे हैं, यही भाजपा का हिंदुत्व है! हम सब सामान्य भक्त हैं इसलिए अयोध्या के संघर्ष में शामिल हुए थे। उस समय आज के ‘वीआईपी‘ कहां थे? ये सब कायर हैं, तब बाबरी गुंबद ढहने पर वे दुम दबाकर भाग गए थे। बीजेपी हमें हिंदुत्व न सिखाए। 2024 के बाद सबको समझ आ जाएगा कि हिंदुत्व किसका है?
जिन्हें आडवाणी याद नहीं…
सचिन अहिर, विधायक व प्रवक्ता शिवसेना (उद्धव गुट) ने कहा, हमें निमंत्रण आए या न आए, यह हमारे लिए आस्था का विषय है। इवेंट करने वाले जो लोग हैं, उन लोगों ने उस दौर में मैदान छोड़ दिया था। जिन्हें लालकृष्ण आडवाणी की याद नहीं है, विश्व हिंदू परिषद का उल्लेख नहीं किया जा रहा है, ऐसे लोगों से हम क्या अपेक्षा करें?
…कोई तस्वीर है तो दिखाएं
गिरीश महाजन (ग्रामिण विकास एवं पंचायत राज मंत्री, महाराष्ट्र व भाजपा नेता) ने कहा, उद्धव ठाकरे एक सामान्य विधायक हैं। केंद्र की वीवीआईपी सूची में उनका नाम नहीं होगा। राज ठाकरे का नाम होगा। इसी तरह बाला साहेब ठाकरे की भूमिका पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन अयोध्या में श्री राम मंदिर के लिए उद्धव ठाकरे का योगदान क्या है? घर पर बैठकर स्टैंड लेने और वास्तव में कार सेवा करने में अंतर है। हम बीस-बीस दिन जेल में थे। तब संजय राऊत और उद्धव ठाकरे कहां थे? शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने राम मंदिर के लिए 1 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन बहुत से लोगों ने राम मंदिर के लिए एक करोड़ दिए हैं। उद्धव ठाकरे द्वारा कार सेवा करने की कोई तस्वीर है तो संजय राऊत दिखाएं।