प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Pixabay
विस्तार
गरीब और गरीबी लोकसभा चुनाव-2024 में फिर से मुद्दा बना है। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार हो, या कांग्रेस नीत विपक्षी गठबंधन…या इन दोनों गठबंधनों से दूरी बनाने वाली तृणमूल जैसी पार्टियां…सबकी निगाहें इस वर्ग पर टिकी हैं। देश के सबसे बड़े वोट बैंक गरीबों को साधने के लिए सभी दल जतन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बीते 10 साल के कार्यकाल में इस वर्ग को मिलने वाली सहूलियतों को गिना रही है। खासकर नीति आयोग की उस रिपोर्ट को, जिसमें मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोगों के गरीबी के दुष्चक्र से बाहर आने की बात कही गई है। वह यह भी गिना रही है कि 80 करोड़ गरीबों को सरकार की ओर से निशुल्क राशन दिया जा रहा है। पक्के घर दिए गए हैं, शौचालय बनवाए गए हैं। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष इसकी दूसरी और बिल्कुल उलट तस्वीर पेश करता है। वह हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति और कमजोर होने का जिक्र करता है। कांग्रेस संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट का हवाला देकर कहती है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दस साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले थे। तब 54 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिलता था। अब यह संख्या 80 करोड़ है। इसका मतलब है कि देश में गरीबी कम होने के बदले और बढ़ी है।
देश में गरीबी के अभिशाप से मुक्त हुए 25 करोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि हमारी सरकार के दस साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी के अभिशाप से मुक्त हुए हैं। यह उपलब्धि बताती है कि हमारी नीतियां और दिशा दोनों सही हैं। यह नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं की सही वर्ग तक पहुंच से संभव हुआ है। अब दिल्ली से भेजा एक रुपया घिस कर 14 पैसे नहीं बनता। पूरा रुपया लक्षित वर्ग तक पहुंच रहा है।
भाजपा की रणनीति
- गरीब वर्ग को साधने के लिए ही खुद पीएम मोदी ने इन्हें जाति के रूप में चिह्नित किया है।
- भाजपा मोदी सरकार में 25 करोड़ लोगों के गरीबी से बाहर निकलने को मुख्य उपलब्धि के रूप में प्रचारित करेगी।
- पार्टी पहले ही पक्का मकान योजना के तहत अतिरिक्त मकान बनाने की घोषणा कर चुकी है। इसके अलावा उपलब्धियों के रूप में पार्टी के पास गरीब केंद्रित योजनाओं की एक लंबी शृंखला है।
- पीएम मोदी दावा करते हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ हर गरीब को बिना किसी भेदभाव के मिलता है। सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता गरीबों का कल्याण ही है।
विपक्ष सवाल के साथ कर रहा वादे- सरकार ने 23 करोड़ लोगों को फिर गरीब बनाया
वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि यूपीए सरकार ने दस साल में 27 करोड़ लोगों को गरीबी से मुक्त कराया था। इस सरकार ने 23 करोड़ लोगों को वापस गरीब बना दिया। यह नोटबंदी, गलत जीएसटी और कोरोना काल में उचित सहारा न मिलने के कारण हुआ। एक तरफ 84 फीसदी लोगों की आमदनी घटी है, तो वहीं देश का 40 फीसदी धन महज दस लोगों के हाथों में है।
कांग्रेस के तरकश में क्या
आम चुनाव में कांग्रेस का फोकस गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाला वर्ग है। पार्टी अपने घोषणा पत्र में इस वर्ग के लिए बुनियादी आय गारंटी योजना लाने का वादा करेगी। इसके तहत इस वर्ग के हर परिवार को 6,000 रुपये महीने की सहायता का प्रावधान है। इसके अलावा पार्टी अन्य गरीबों के लिए आवास, सस्ता ऋण, मुफ्त चिकित्सा का वादा करेगी। यही नहीं, न्याय गारंटी में प्रत्येक गरीब परिवार की एक महिला को सालाना एक लाख रुपये दिए जाने का वादा भी है।
गरीब कौन…इस पर हमेशा उठे सवाल
- देश में गरीबी तय करने के मानक पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। फिलहाल सरकार तेंदुलकर कमेटी की सिफारिश को मानती है।
- तेंदुलकर कमेटी: गांवों में प्रतिमाह 816 रुपये और शहराें में 1,000 रुपये से कम खर्च करने वाले गरीबी रेखा के नीचे माने जाएंगे।
- रंगराजन कमेटी: गांवों में 972 रुपये और शहराें में 1407 रुपये खर्च का पैमाना मानने की सिफारिश की। सरकार ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया।
गरीब वर्ग अब भी देश का सबसे बड़ा वोट बैंक है। साल 2011-12 में देश में 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। वर्तमान में 22% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है।