सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) के कम से कम 1,000 पीएचडी छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा अनिवार्य रूप से ‘अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता’ पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है। पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पब्लिकेशन एथिक्स द्वारा डिजाइन किया गया है।
एसपीपीयू प्रशासन के अनुसार, इस अनूठे पाठ्यक्रम में दर्शनशास्त्र, इसकी प्रकृति, विभिन्न शाखाएं, अनुसंधान से उनका संबंध, दुनिया भर में अनुसंधान के मानक, नकली प्रकाशनों और पत्रिकाओं की पहचान करने के लिए उपकरण और तकनीक शामिल हैं।
एसपीपीयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर नितिन करमलकर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने इस पाठ्यक्रम के पहले बैच का उद्घाटन किया। तभी से पूरे भारत के विश्वविद्यालयों में इस पाठ्यक्रम का अध्ययन किया जा रहा है।
सेंटर फॉर पब्लिकेशन एथिक्स की प्रमुख प्रोफेसर शुभदा नागरकर ने कहा, ‘यह कोर्स जून 2021 में शुरू हुआ था और अब तक सात बैच पूरे हो चुके हैं। इस दौरान विवि के साथ-साथ कई प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। उम्मीद है कि अधिक छात्र इस कोर्स के लिए नामांकन करेंगे।”
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