विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ)
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विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। अपनी हालिया रिपोर्ट में वैश्विक संगठन ने कहा है दुनिया की प्रवृत्ति को बदलने के प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। इस रिपोर्ट में साल 2023 में ग्रीनहाउस गैसों, भूमि और पानी के तापमान और ग्लेशियरों और समुद्री बर्फ के पिघलने में हुई अप्रत्याशित बढोतरी का भी हवाला दिया गया है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने मंगलवार को ‘वैश्विक जलवायु की स्थिति’ रिपोर्ट जारी की है। इसमें चिंता जताई गई है कि जलवायु में हो रहे अप्रत्याशित परिवर्तनों को रोकने और उन्हें बदलने के लक्ष्यों पर खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं पृथ्वी के तापमान में तेजी बढ़ोतरी हो रही है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा है कि दुनिया को ग्रहों के तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस( 2.7 डिग्री फारेनहाइट) तक सीमित करने के लिए एकजुट होना होगा।
जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि को इसी बात से समझा जा सकता है कि डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में तय की गई 1.5 डिग्री सेल्सियस के इतना करीब दुनिया कभी नहीं थी। वहीं, यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट सर्विस ने बताया है कि कैलेंडर वर्ष 2023 1.48 सेल्सियस (2.66 फारेनहाइट) पर 1.5 डिग्री सेल्सियस से ठीक नीचे था, लेकिन इस साल की रिकॉर्ड गर्म शुरुआत ने 12 महीने के औसत को उस स्तर से आगे बढ़ा दिया।
इस रिपोर्ट को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी एक संकट कॉल जारी कर रही है। वैश्विक जलवायु रिपोर्ट में ताजा आंकड़े ग्रह को अंतिम कगार पर दिखाती है। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्कूल के डीन जोनाथन ओवरपेक ने भी इस रिपोर्ट पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट चिंताजनक है। सभी बुरी खबरों के अलावा, मुझे सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि ग्रह अब पिघलने के चरण में है।