खबरों के खिलाड़ी।
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लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के मकसद से कई विपक्षी दल एकजुट हुए थे। उन्होंने अपने गठबंधन को INDIA नाम दिया था। हालांकि, बंगाल में ममता बनर्जी ने अपनी राह अलग कर ली है। बिहार की सियासत तेजी से बदल रही है। महाराष्ट्र में गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हैं, तो पंजाब में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। ऐसे में इस गठबंधन का भविष्य क्या होगा? लोकसभा चुनाव में विपक्ष सत्ताधारी भाजपा को कैसे चुनौती दे पाएगा? इसी विषय पर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, राहुल महाजन, प्रेम कुमार, समीर चौगांवकर और विनोद अग्निहोत्री मौजूद रहे…
क्या विपक्षी गठबंधन चुनाव तक भी आकार नहीं ले पाएगा?
रामकृपाल सिंह: नई संसद का जब उद्घाटन हुआ था, उससे पहले इंडिया गठबंधन की बात शुरू हुई थी। नई संसद भवन के उद्घाटन के बाद मुझे उम्मीद थी कि कुछ रणनीतिक एकता होगी, लेकिन उससे पहले ही जिस तरह के बयान आने शुरू हुए, तभी लगने लगा कि इसका भविष्य नहीं है। तब लोगों को इस विचार पर आपत्ति थी। देखिए, जो कारण आपको साथ आने से रोकते हैं, जब तक उन कारणों को खत्म नहीं करेंगे, तब तक आप साथ कैसे आ सकते हैं? आज की तारीख में मैं कह सकता हूं कि 22 जनवरी के बाद विपक्ष को यह समझ में आ गया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में नहीं हरा पाएंगे। इसके बाद से सभी इस कोशिश में लग गए हैं कि वे अपने-अपने राज्य में अपनी पकड़ को बरकरार रखें। बिहार में नंबर एक की पार्टी राजद है। नंबर दो पर भाजपा और नंबर तीन पर जदयू है, लेकिन नंबर एक की पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं है। नंबर तीन की पार्टी के पास 16 सांसद हैं। जाहिर सी बात है कि ये सभी मोदी के नाम पर जीतकर आए हैं। मैंने पहले भी कहा था कि दरार तब आती है, जब कोई चीज बनी हो। जब कोई चीज बनी ही नहीं तो दरार कहां आएगी।
क्या विपक्षी दल राज्यों में अपनी साख बचाने की कोशिश में लग गए हैं?
प्रेम कुमार: इंडिया गठबंधन के जन्म के साथ ही उसके अस्तित्व पर सवाल उठते रहे हैं। पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से गठबंधन की ही सरकारें बनती रहीं। एनडीए गठबंधन अटल जी के नेतृत्व में सफल हुआ, तो उनके खिलाफ बना गठबंधन यूपीए उन्हें बाहर करने में सफल रहा। 2009 में यूपीए के खिलाफ बना विपक्षी गठबंधन विफल रहा, तो 2014 में यूपीए के खिलाफ बना गठबंधन सफल रहा।