हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं, ‘चोरी करना पाप है’, इससे संबंधित कई दंतकथाएं भी दादी-नानी सुनाया करती थीं ताकि बच्चों में इस तरह की आदत न बनने पाए। पर क्या हो अगर कोई व्यक्ति बार-बार चोरी करता हो, उसका मन उसे चोरी करने के लिए मजबूर कर देता हो? ऐसे कई मामले हम सभी अक्सर सुनते देखते आ रहे हैं।
हाल ही में एक महिला ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उसने कहा कि उनके पति जहां कहीं जाते हैं वहां से कुछ न कुछ जरूर चुरा लेते हैं। होटल से शैम्पू-तौलिया हो या ट्रेनों से चादर। महिला ने कहा, वह पति की इस आदत से बहुत परेशान हो गई है। शिकायत से नाराज पति ने पत्नी के साथ मारपीट की, जिससे गुस्से में पत्नी अपने मायके पहुंच गई। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल है।
हम सभी अक्सर चोरी के मामले सुनते रहते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि बार-बार चोरी की आदत या फिर इसकी तीव्र इच्छा होना असल में एक प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य की समस्या हो सकती है। मेडिकल की भाषा में इसे क्लेप्टोमेनिया के नाम से जाना जाता है।
क्या है क्लेप्टोमेनिया की समस्या?
अमर उजाला से बातचीत में मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं, क्लेप्टोमेनिया वह मानसिक विकार है जिसमें किसी व्यक्ति को बाध्यकारी रूप से वस्तुओं को चुराने की इच्छा होती है। कई बार तो व्यक्ति उन चीजों का भी चुराने को मजबूर हो जाता है जिसकी वास्तव में उसको आवश्यकता भी नहीं होती है। अक्सर चोरी की गई वस्तुओं का मूल्य बहुत कम होता है और आप उन्हें खरीद सकते हैं। ऐसे रोगियों को पता भी नहीं होता है कि ये मानसिक विकार है।
क्लेप्टोमेनिया वैसे तो दुर्लभ समस्या है लेकिन इसके कई प्रकार के सामाजिक रूप से नकारात्मक असर हो सकते हैं। ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, जो व्यक्ति को मानसिक तौर पर और भी परेशान करने लगती हैं।
कैसे जानें किसी को क्लेप्टोमेनिया तो नहीं?
क्लेप्टोमेनिया से पीड़ित लोग अक्सर गुप्त-शर्मिंदगी भरा जीवन जीते हैं क्योंकि वे मानसिक स्वास्थ्य उपचार लेने से डरते हैं। क्लेप्टोमेनिया का कोई विशिष्ट इलाज भी नहीं है, लेकिन दवाओं या थेरेपी के माध्यम से बाध्यकारी भावना को कंट्रोल करने में जरूर मदद मिल सकती है।
कुछ लक्षणों से आप भी पता लगा सकते हैं कि किसी को ये विकार तो नहीं?
उन वस्तुओं को चुराने की भी इच्छा होना जिसकी आपको आवश्यकता नहीं है।
अक्सर बढ़ा हुआ तनाव, चिंता या उत्तेजना महसूस होना।
चोरी करके खुशी, राहत या संतुष्टि महसूस करना।
चोरी के बाद अपराधबोध, पश्चाताप, आत्म-घृणा, शर्म महसूस करना।
क्या है इस मनोरोग का कारण?
क्लेप्टोमेनिया क्यों होती है वैज्ञानिकों को इसका कारण ज्ञात नहीं हैं। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर में होने वाली समस्याओं के कारण इस तरह की समस्या हो सकती है। आवेगी व्यवहार के शिकार लोगों में अक्सर सेरोटोनिन की कमी देखी जाती रही है।
क्लेप्टोमेनिया से पीड़ित लोगों में अक्सर कोई अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकार भी हो सकता है, जैसे चिंता, अवसाद या मादक पदार्थों के सेवन से संबंधित विकार।
किसी में दिखें इसके लक्षण तो क्या करें?
डॉ सत्यकांत कहते हैं, अगर आपके जान-पहचान में किसी को क्लेप्टोमेनिया के लक्षण हैं तो उसे मनोचिकित्सक के पास जरूर ले जाएं। दवाएं और मनोचिकित्सा दोनों की मदद से व्यक्ति को लाभ मिल सकता है। क्लेप्टोमेनिया का कोई मानक उपचार नहीं है और अभी तक ज्ञात नहीं है कि इसे निश्चित रूप से कैसे रोका जाए? बाध्यकारी रूप से चोरी की भावना और इसके कारण होने वाली चिंता-तनाव, अपराधबोध की भावना को कम करने और इस विकार से भी राहत पाने में मनोचिकित्सक मदद कर सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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