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- Who Is ‘Srikanth’ From Rajkumar Rao’s Film, The Blind Son Of Illiterate Parents Reached MIT
8 घंटे पहले
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9 अप्रैल को यूट्यूब पर ‘श्रीकांथ’ नाम की फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ। ट्रेलर ट्रेंड भी कर रहा है। काल्पनिक सा लगने वाला ये ट्रेलर असल में एक रियल लाइफ कैरेक्टर की जिंदगी पर आधारित है। कहानी है उद्योगपति श्रीकांत बोला की जिन्होंने भाग्य या सिस्टम को दोष देने की बजाए मेहनत, लगन और कुछ कर दिखाने की धुन से जो चाहा, वो पा लिया।
गरीब-अनपढ़ परिवार में हुआ जन्म
श्रीकांत का जन्म आंध्र प्रदेश के एक किसान परिवार में हुआ। माता-पिता खेती-बाड़ी कर घर चलाते थे और बिल्कुल पढ़े-लिखे नहीं थे। लेकिन उन्होंने श्रीकांथ को पढ़ने-लिखने के लिए हमेशा मोटीवेट किया। उनके पिता से कई बार पड़ोसियों ने कहा कि तुम्हारा बेटा अंधा है, इसे पढ़ा लिखाकर क्या करोगे। किसी ने कहा कि बेटा अंधा है, इसका इस दुनिया में क्या होगा। इसे जान से मरवा देना बेहतर होगा। बहुत से लोगों ने ये भी कहा कि ये बच्चा बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा नहीं बन पाएगा। इसलिए इसकी परवरिश पर कोई खर्चा करने की जरूरत नहीं है। लेकिन श्रीकांत के पेरेंट्स ने इन सभी बातों को नजरअंदाज कर न सिर्फ बेटे को पढ़ाया, बल्कि हर कदम पर उनके साथ भी खड़े रहे।
साइंस, मैथ्स पढ़ने के लिए पहुंच गए कोर्ट
10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रीकांथ ने फैसला किया कि वो आगे साइंस और मैथ्स पढ़कर इंजीनियरिंग में करियर बनाएंगे। लेकिन जिस स्कूल में वो पढ़ते तो, उन्होंने एक ब्लाइंड स्टूडेंट को 11वीं में साइंस देने से मना कर दिया। इसके बाद श्रीकांथ कई दूसरे स्कूलों में एडमिशन के लिए गए। लेकिन हर जगह उन्हें ये कहकर मना कर दिया गया कि ब्लाइंड स्टूडेंट के लिए साइंस पढ़ना रिस्की हो सकता है। लेकिन श्रीकांत चुपचाप सब सहते रहने वालों में से नहीं थे। वो स्कूल के इस फैसले के खिलाफ आंध्र-प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गए। बोला न सिर्फ ये केस जीते बल्कि इसके बाद आंध्र प्रदेश के एजुकेशन लॉ को बदलकर उसमें भी बदलाव किया गया। अब सभी ब्लाइंड स्टूडेंट्स साइंस पढ़ सकते थे।
जिस स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया, वहीं के टॉपर बने
6 महीने लंबी लड़ाई के बाद श्रीकांथ केस जीत गए और उन्होंने 11वीं में साइंस-मैथ्स के साथ पढ़ाई शुरू की। 12वीं में श्रीकांथ ने 98% मार्क्स हासिल किए और स्कूल के टॉपर बनें। अब लोग मान चुके थे कि श्रीकांथ बोला ब्लाइंड जरूर हैं, लेकिन किसी से कम नहीं है। इतने अच्छे मार्क्स लाने के बावजूद IIT ने उन्हें ब्लाइंड होने की वजह से एडमिशन देने से मना कर दिया।
IIT ने रिजेक्ट किया, MIT ने बुलाया
IIT से रिजेक्ट होने के बाद श्रीकांथ निराश तो हुए, लेकिन इंजीनियर बनने का सपना अब भी उनकी आंखों में बसा हुआ था। इसके बाद उन्होंने मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT कैंब्रिज में अप्लाय किया और सिलेक्ट हो गए और यहां मैनेजमेंट साइंस पढ़ने वाले पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट बनें। MIT को यूनाइटेड स्टेट्स का बेस्ट टेक्निकल इंस्टीट्यूट माना जाका है।
विदेश के ऑफर ठुकराए, भारत में शुरू की कंपनी
MIT से ग्रेजुएशन करने के बाद श्रीकांथ को देश-विदेश की कंपनियों ने अच्छे पैकेज पर नौकरी ऑफर की। लेकिन ये सभी ऑफर उन्होंने ठुकरा दिए। वो समझ चुके थे कि उनकी तरह हर व्यक्ति इतनी लंबी और मुश्किल लड़ाई नहीं लड़ सकता। इसलिए वो भारत में ही एक कंपनी शुरू करना चाहते थे, जहां उनके जैसे स्पेशली एबल्ड लोगों को काम मिल सके। साल 2012 में श्रीकांथ बोला ने बोलैंट इंडस्ट्रीज शुरू की। इस कंपनी में रतन टाटा जैसे लोगों ने इंवेस्टमेंट किया है। पैकेजिंग सॉल्यूशन्स देने वाली ये कंपनी प्रॉफिटेबल है और यहां करीब 600 लोग काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मचारी डिसएबल्ड हैं।