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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव में ‘नैक’ की कार्यकारी परिषद के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे (बीच में), एआईसीटीई के वाइस चेयरमैन डॉ. अभय जेरे (दाएं) और स्कूल शिक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर जेपी पांडेय।
देश के उच्च शिक्षा संस्थानों को नैक की ओर से मिलने वाला ग्रेडिंग सिस्टम अगले सत्र 2024-25 से खत्म हो जाएगा। इसके स्थान पर सिर्फ दो किस्म के ही संस्थान होंगे मान्यता प्राप्त और बिना मान्यता वाले। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) की कार्यकारी परिषद और नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने दैनिक भास्कर एजुकेशन कॉन्क्लेव में यह जानकारी दी। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सिस्टम पर उन्होंने कहा कि जिस तरह सामान्य बैंक लक्ष्मी (धन) का बैंक है, वैसे ही एकेडमिक बैंक सरस्वती (विद्या) का बैंक है। हम अपने जीवन में जो भी विद्या हासिल करते जाएंगे, उसका क्रेडिट वहां जमा होता रहेगा और इसका अकाउंट नंबर अपार आईडी के रूप में होगा।
आईआईटी में दाखिला न मिला तो आप लूजर नहीं : प्रो. बैनर्जी
आईआईटी-दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बैनर्जी ने कहा कि कोई छात्र जेईई के जरिए आईआईटी में दाखिला हासिल नहीं कर पाता है तो वह लूजर नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी चयन प्रक्रिया लाखों में से शीर्ष के कुछ हजार छात्रों को ही आईआईटी में दाखिला दे पाती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जो दाखिला हासिल नहीं कर पाए, वे कम प्रतिभाशाली हैं।
दैनिक भास्कर के एजुकेशन कॉन्क्लेव में ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के वाइस चेयरमैन डॉ. अभय जेरे ने कहा कि इंजीनियरिंग और टेक्निकल संस्थानों के सभी कोर्सेज में इंटर्नशिप अनिवार्य की गई है ताकि नौकरी पाने की काबिलियत बढ़ सके। उन्होंने कहा, ‘नेशनल इंटर्नशिप पोर्टल पर देशभर के राज्यों के जिला स्तर के इंटर्नशिप विकल्पों को सुझाया जा सकता है, जहां छात्र इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं।’
सत्र 2024-25 से बीबीए, बीएमएस और बीसीए कोर्सेज के लिए नॉन-टेक्निकल संस्थानों को मंजूरी मिलने पर उठे विवाद पर डॉ. जेरे ने कहा कि यह प्रावधान एआईसीटीई एक्ट में है और पहले से ही यूजीसी के तहत चलने वाले सभी विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कोर्स चलाते हैं तो एआईसीटीई से मान्यता लेते हैं। कॉन्क्लेव में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू करने, सेक्टर की बेस्ट प्रैक्टिसेज और सक्सेस मंत्रों पर भी संवाद हुआ। स्कूली शिक्षा मंत्रालय में निदेशक जेपी पांडेय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रगति की जानकारी दी। ब्रान्ड कंसल्टेंट हरीश बिजूर व ब्रांड गुरु संतोष देसाई ने शिक्षा क्षेत्र में साख हासिल करने पर चर्चा की। छोटे-बड़े शिक्षण संस्थानों के लिए ‘मैनेजिंग फंडिंग एंड इन्वेस्टमेंट इन एजुकेशन सेशन’ में ईरूडिटस के हेड ऑफ काॅर्पोरेट डेवलपमेंट प्रांजल कुमार और फंडिंग मामलों में एक्सपर्ट अजय शाह ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘कोई इन्वेस्टर किसी संस्थान को फंड देता है तो वह कई चीजें देखता है। पहला यह है कि जिस शिक्षण संस्थान को फंडिंग हासिल करनी है उसे विजन और थॉट प्रोसेस पूरी तरह स्पष्ट रखनी होगी। आप ऐसा नहीं करते हैं तो इन्वेस्टर का पैसा डूब जाएगा। स्कूल या यूनिवर्सिटी को ऐसे समय में अपनी गवर्नेंस को सही रखना चाहिए और ऊंच-नीच से बचना चाहिए।
कोचिंग संस्थान एलन के निदेशक गोविंद माहेश्वरी व उत्कर्ष क्लासेज के संस्थापक सीईओ डॉ. निर्मल गहलोत ने कोचिंग संस्थानों के लिए सूत्र सुझाए। प्रिंस एजुकेशन हब के डॉ. पीयूष सुंडा, सेज ग्रुप के संजीव अग्रवाल, वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के चांसलर पुरुषोत्तम पसारी, जागरण लेक यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर अभिषेक मोहन गुप्त, आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी और गांधी नगर विवि की वाइस प्रेसीडेंट विनिता रामचंदानी ने अपने संस्थानों की बेस्ट प्रैक्टिसेज बताईं। भास्कर समूह के निदेशक गिरीश अग्रवाल ने कहा, ‘एजुकेशन सेक्टर अभी 115 अरब डॉलर का है, जो 300 अरब डॉलर तक पहुंचेगा। इसलिए इस क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है।’