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- CBSE Will Start Open book Exams, Books And Notes Can Be Taken In The Exam; Try run Will Be Held In November For 9th To 12th
3 घंटे पहले
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CBSE बोर्ड अब क्लास 9 से 12 तक के लिए ओपन बुक एग्जाम (OBE) ट्रायल करने जा रहा है। इसी साल नवंबर में कक्षा 9 और 10 के लिए अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और कक्षा 11 और 12 के लिए अंग्रेजी, गणित और जीवविज्ञान के लिए कुछ स्कूलों में ओपन-बुक टेस्ट कराने की तैयारी है।
क्या होता है ओपन-बुक एग्जाम
ओपन-बुक एग्जाम में स्टूडेंट्स को परीक्षा के दौरान अपने नोट्स, किताबें, या कई अन्य स्टडी मटेरियल साथ ले जाने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। हालांकि OBE सामान्य परीक्षा से आसान नहीं होता। ये एग्जाम अक्सर ज्यादा मुश्किल होते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि ओपन-बुक एग्जाम में स्टूडेंट की याद रखने की क्षमता का आकलन नहीं किया जाता, बल्कि किसी सब्जेक्ट या टॉपिक की समझ और उसकी प्रैक्टिकल नॉलेज को परखा जाता है। एग्जामिनर उन आंसर्स को नंबर नहीं देते जो किताब से देखकर लिखे गए हों, बल्कि उन आंसर्स को मार्क्स दिए जाते हैं, जिसमें स्टूडेंट की इंटेलिजेंस दिखाई दे। जैसे- स्टूडेंट अगर नोटबुक में टीचर्स द्वारा लिखाए गए पैरे को ज्यों का त्यों कॉपी करते हैं, तो उन्हें नंबर नहीं मिलेंगे, जबकि उससे आइडिया लेकर अपनी भाषा में उसे बेहतर तरीके से लिखेंगे तो नंबर मिलेंगे।
इसी साल से शुरू होगा OBE
OBE का पहला ट्रायल इसी साल नवंबर-दिसंबर में करने का प्रस्ताव है। इसके बाद बोर्ड यह तय करेगा कि कक्षा 9 से 12 के लिए उसके सभी स्कूलों में इसे लागू करना चाहिए या नहीं। इससे स्टूडेंट्स की थिंकिंग स्किल्स, एप्लिकेशन, एनालिसिस, क्रिटिकल और क्रिएटिव थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी का टेस्ट लिया जाएगा।
DU तैयार करेगा फॉर्मेट
CBSE जून तक OBE पायलट के डिजाइन और डेवलपमेंट को पूरा करने की योजना बना रहा है। यह फॉर्मेट दिल्ली यूनिवर्सिटी से तैयार कराया जाएगा। DU ने अगस्त 2020 में कोरोना महामारी के दौरान ओपन बुक टेस्ट की शुरुआत की थी। हालांकि इससे एजुकेशन कैलेंडर बिगड़ गया था।
स्टूडेंट्स कर चुके हैं OBE का विरोध
DU के स्टूडेंट्स ने OBE के खिलाफ इस आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि यह उन लोगों के लिए पक्षपातपूर्ण होगा जिनके पास इंटरनेट और बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर की पहुंच नहीं है। हालांकि हाईकोर्ट ने डीयू को फाइनल ईयर के ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए OBE करने की अनुमति दे दी।
रेगुलर स्टूडेंट्स को परीक्षा पूरी करने के लिए एक घंटे और आंसर शीट को स्कैन करने और उन्हें अपलोड करने के लिए एक अतिरिक्त घंटे का समय दिया गया, जबकि दिव्यांग छात्रों को परीक्षा के लिए 6 घंटे मिले।
तैयार होंगी हाई-क्वालिटी बुक्स
गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में OBE के लिए खास किताबें तैयार करने पर भी विचार किया गया। बोर्ड ने ऐसी किताबों की जरूरत पर चर्चा की जिनसे यह तय किया जा सके कि स्टूडेंट्स एग्जाम के इस नए फॉर्मेट को समझ पाएं।
बैठक के दौरान, यह भी प्रस्ताव रखा गया कि पहले टीचर्स के लिए OBE किया जाना चाहिए। इससे टीचर्स को भी एग्जाम को समझने और इसके लिए स्टडी मटेरियल तैयार करने में मदद मिलेगी।
CBSE लेगा साल में 2 बार बोर्ड एग्जाम
एकेडमिक ईयर 2025-26 से 10वीं, 12वीं के स्टूडेंट्स को साल में दो बार बोर्ड एग्जाम में शामिल होने का ऑप्शन मिलेगा। इसकी घोषणा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 19 फरवरी को की। साथ ही साथ अगस्त 2023 में लाए गए नए करीकुलम फ्रेमवर्क के अनुसार, स्टूडेंट्स को अच्छा परफॉर्म करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर सुनिश्चित किया जाएगा। पूरी खबर यहां पढ़ें
10वीं में 10, 12वीं में 6 सब्जेक्ट्स होंगे
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के लिए एजुकेशन स्ट्रक्चर में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत क्लास 10th में अब दो लैंग्वेज की जगह तीन लैंग्वेज पढ़ाई जाएंगी। इनमें कम से कम दो नेटिव लैंग्वेज (जैसे हिंदी, मराठी) शामिल होंगी। बोर्ड ने यह प्रस्ताव HRD मिनिस्टरी को मंजूरी के लिए भेजा है।
इस प्रपोजल में क्लास 10th के स्टूडेंट्स को अब 5 की बजाय 10 सब्जेक्ट में पास होना जरूरी होगा। अभी तक 10th के स्टूडेंट्स को 5 सब्जेक्ट को पढ़ना जरूरी होता है।
इसी तरह क्लास 12th के लिए दिए गए प्रपोजल में स्टूडेंट्स को एक की बजाय दो लैंग्वेज को पढ़ना होगा। इनमें कम से कम एक नेटिव इंडियन लैंग्वेज शामिल होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि बैचलर करने से पहले 5 की बजाय 6 सब्जेक्ट्स में एग्जाम पास करना जरूरी होगा।
सभी 10 सब्जेक्ट में पास होना जरूरी
इस प्रपोजल में तीन भाषाओं, गणित और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, सोशल साइंस, साइंस और एनवायर्नमेंट एजुकेशन की परीक्षा की कॉपियां दूसरे सेंटर पर चेक होंगी। आर्ट एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन और बिजनेस एजुकेशन में इंटर्नल और एक्सटर्नल दोनों ही एग्जाम लिए जाएंगे। स्टूडेंट्स को अगली क्लास में पहुंचने के लिए सभी 10 सब्जेक्ट में पास होना जरूरी होगा।
पढ़ाई के घंटों पर मिलेंगे क्रेडिट्स
CBSE ने स्टैंडर्ड स्कूल करिकुलम में फॉर्मल क्रेडिट सिस्टम का प्रपोजल दिया है। फॉर्मल क्रेडिट सिस्टम के अनुसार, अब स्टूडेंट्स के पढ़ाई के घंटों को क्रेडिट में बदला जाएगा। अभी एक एकेडमिक ईयर में 1200 नेशनल लर्निंग आवर्स (पढ़ने के घंटे) होते हैं। स्टूडेंट्स की अटैंड की हुई क्लासेज के अनुसार मिले क्रेडिट एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में जुड़ जाएंगे।
11वीं-12वीं में होंगे 7 सब्जेक्ट्स
क्लास 11th और 12th के लिए पांच सब्जेक्ट (1 लैंग्वेज और 4 ऑप्शनल सब्जेक्ट) के बजाय स्टूडेंट्स को 2 लैंग्वेज और 5 ऑप्शनल सब्जेक्ट को पढ़ना होगा। दोनों लैंग्वेज में से एक नेटिव लैंग्वेज होनी जरूरी होगी।
बता दें कि बोर्ड की तरफ से 21 जुलाई 2023 को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें CBSE ने इंग्लिश मीडियम के साथ ही स्कूलों में क्लास 12th तक सब्जेक्ट के ऑप्शन में नेटिव लैंग्वेज को पढ़ाए जाने की शुरुआत की थी।
नेटिव लैंग्वेज स्टूडेंट्स के लिए जरूरी
CBSE ने कहा था कि ये फैसला उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 को देखते हुए किया है, ताकि स्टूडेंट्स के लिए लैंग्वेज को पढ़ने पर जोर दिया जा सके। इसे स्टूडेंट्स को नेटिव लैंग्वेज (मातृभाषा) के साथ कई और लैंग्वेज सिखाए जाने की पहल माना जा रहा है।
CBSE बोर्ड ने 21 जुलाई को एक नोटिस में इस पर विचार करने की बात कही थी। इसके बाद ही एजुकेशन मिनिस्ट्री ने NCERT को 22 लैंग्वेज में सिलेबस तैयार करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी।
सीबीएसई बोर्ड की 10वीं-12वीं की परीक्षा में हर साल 30 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल होते हैं।
दो महीने पहले CBSE ने बदला था ग्रेडिंग सिस्टम
CBSE (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन) ने दो महीने पहले ऐलान किया था कि 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट में परसेंटेज यानी एग्रीगेट मार्क्स जारी नहीं करेगा। इसके अलावा अगले साल से रिजल्ट के साथ डिवीजन (फर्स्ट, सेकंड या थर्ड डिवीजन) और डिस्टिंक्शन भी जारी नहीं की जाएगी। अब रिजल्ट में सिर्फ CGPA (कम्युलेटिव ग्रेड पॉइंट एवरेज) यानी ग्रेड पॉइंट्स ही मिलेंगे।