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- Which Institute Is Best For Space Science In India? IIST Trivandrum CESSI Kolkata अब जानते हैं स्पेस साइंसेज से जुड़े कॉलेज, कोर्सेज और एडमिशन प्रोसेस के बारे में..
2 घंटे पहलेलेखक: ऋचा श्रीवास्तव
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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों का ऐलान किया। ये भारत का पहला मैन्ड स्पेस मिशन है। इस मिशन के जरिए भारत पहली बार 4 क्रू मेंबर्स को अंतरिक्ष में भेजेगा।
इस मैन मिशन में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। ये सभी एस्ट्रोनॉट्स नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में पढ़े हैं और बेंगलुरु में इंडियन एयर फोर्स के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम्स टेस्टिंग एस्टेब्लिश्मेंट (ASTE) के टेस्ट पायलट्स हैं।
एयरफोर्स के पायलट्स ने एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए बड़ी संख्या में एप्लिकेशन दी थी। इनमें से 12 ने सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस कम्पलीट किया था। कई स्टेज में हुए सिलेक्शन राउंड्स के बाद इन चारों पायलट्स को चुना गया है।
इस बार टॉप कॉलेज में जानेगें एस्ट्रोनॉट बनने के लिए जरूरी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन क्या है और किन कॉलेजों से स्पेस साइंस या एस्ट्रोफिजिक्स से जुड़े कोर्सेज कर सकते हैं..
सबसे पहले जानते हैं ISRO के एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम के बारे में..
ISRO के एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम में शामिल होने के लिए जरूरी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया :
भारत के ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन के जरिए एस्ट्रोनॉट्स बनने के लिए एस्ट्रोनॉट्स प्रोग्राम में अप्लाय कर सकते हैं।
- इसके लिए इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मेडिकल साइंस में कम से कम 60% स्कोर के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री होना जरूरी है।
- इसके अलावा अगर आपके पास एरोनॉटिकल या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स या PhD डिग्री हो तो आपको दूसरों के मुकाबले प्रीफेरेंस मिल सकता है।
- इसके लिए 27 से 37 उम्र के कैंडिडेट्स अप्लाय कर सकते हैं।
- इसके लिए मिनिमम हाइट 157 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- ऐसे कैंडिडेट्स जो ये एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पूरी करते हों, उन्हें सिलेक्शन प्रोसेस यानी स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ता है।
- फाइनल सिलेक्शन के लिए कई तरह के फिजिकल, एकेडमिक और साइकोलॉजिकल टेस्ट भी लिए जाते हैं। इस दौरान सेप्स ट्रेवल के लिए जरूरी फिजिकल टेस्ट, ब्लड प्रेशर और ऑप्टिकल एक्युटी यानी आंखों का विजन टेस्ट किया जाता है।
- अगर आप पायलट हैं और एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम के लिए अप्लाय किया है, तो आपके पास कम से कम 1000 घंटे का पायलट इन कमांड टाइम और फ्लाइट एक्सपीरियंस होना चाहिए।
सोर्स: IIRF रैंकिंग ब्लॉग
अब जानते हैं स्पेस साइंसेज से जुड़े कॉलेज, कोर्सेज और एडमिशन प्रोसेस के बारे में..
टॉप 5 कॉलेजों में एडमिशन की प्रोसेस और कोर्स डिटेल्स :
1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम (IIST)
IIST केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंडर आता है। इसे डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी का स्टेटस मिला है। इंस्टीट्यूट में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, एवियोनिक्स, अर्थ एंड स्पेस साइंसेज जैसे 7 डिपार्टमेंट्स हैं।
इंस्टीट्यूट से 12वीं के बाद अंडरग्रेजुएट कोर्सेज – जैसे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में BTech और डुअल प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं। इसके कोर्सेज: अलावा 4 साल के BTech इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डुअल डिग्री और 5 साल के BTech + मास्टर ऑफ साइंस/ इंजीनियरिंग के कोर्स कर सकते हैं।
इसके अलावा ग्रेजुएशन के बाद मास्टर ऑफ साइंस इन सॉलिड स्टेट फिजिक्स, MTech इन ऑप्टिकल इंजीनियरिंग, MTech इन अर्थ साइंस सिस्टम्स जैसे कोर्सेज कर सकते हैं। वहीं, CSIR NET क्वालिफाई कर चुके कैंडिडेट्स PhD कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं।
ऐसे मिलेगा एडमिशन : UG कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए JEE Mains और JEE Advanced क्वालिफाई करना जरूरी है। वहीं, MTech या MSc कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए GATE स्कोर होना जरूरी है। वहीं, PhD कोर्सेज में UGC NET, CSIR NET या JEST के बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं।
IIST की स्थापना ISRO ने 2007 में की थी।
2. इंडियन सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स (ICSP), कोलकाता
ICSP केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंडर आने वाला एक सरकारी रिसर्च इंस्टीट्यूट है। यहां एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोफिजिक्स और स्पेस साइंस से जुड़ी रिसर्च की जाती है। यहां रेगुलर अंडरग्रेजुएट या पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज की तरह एडमिशन नहीं ले सकते।
कोर्सेज: इस इंस्टीट्यूट में एस्ट्रोबायोलॉजी, एस्ट्रोकेमिस्ट्री, हाई एनर्जी एस्ट्रोफिजिक्स, आईनॉस्फेरिक साइंसेज, स्पेस रेडिएशन, इंस्ट्रूमेंटेशन फॉर स्पेस एक्स्प्लोरेशन, ऑप्टिकल एक्स्प्लोरेशन जैसे डिपार्टमेंट्स में काम कर सकते हैं।
इसके अलावा एस्ट्रोफिजिकल प्रोसेस, कॉस्मोलॉजी, गैलेक्सी एंड स्ट्रक्चर फॉर्मेशन, फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोनॉमी, द एक्सट्रीम यूनिवर्स के 4 महीने के कोर्स भी कर सकते हैं।
ऐसे मिलेगा एडमिशन: यहां CSIR NET, UGC, INSPIRE जैसे रिसर्च स्कॉलर्स या सिलेक्टेड रिसर्च फेलो प्रोजेक्ट्स ISRO और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST) के प्रोजेक्ट्स में रिसर्च कर सकते हैं।
शुरुआत में ये इंस्टीट्यूट कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड था। 1999 में ऑटोनॉमस रिसर्च इंस्टीट्यूट के तौर पर ICSP की स्थापना हुई।
3. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून (IIRS)
ये इंस्टीट्यूट ISRO की यूनिट है। यहां एग्रीकल्चर एंड सॉइल डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट्री एंड इकॉलॉजी डिपार्टमेंट, मरीन एंड एटमॉस्फेरिक साइंसेज, अर्बन एंड रीजनल स्टडीज, वॉटर रिसोर्सेज, जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी, फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सेंसिंग, जियोइन्फॉर्मेटिक्स, जियोसाइंसेज एंड डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे डिपार्टमेंट हैं।
कोर्सेज : रिमोट सेंसिंग एंड जियोग्राफिक इन्फॉर्मेंशन सिस्टम्स से जुड़े 9 डिसिप्लिन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, MTech, MSc और PG डिप्लोमा जैसे कोर्सेज कर सकते हैं।
ऐसे मिलेगा एडमिशन : इंस्टीट्यूट लेवल एंट्रेंस टेस्ट, इंटरव्यू और पिछले एकेडमिक रिकॉर्ड्स के बेसिस पर यहां एडमिशन ले सकते हैं।
IIRS की स्थापना सर्वे ऑफ इंडिया के इंडियन फोटो-इंटरप्रेटेशन यूनिट (IPI) के अंडर 1966 में हुई थी।
4. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु (IIA)
IIST केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंडर आता है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फोटोनिक्स और मैकेनिकल जैसे तीन टेक्निकल डिवीजन हैं। IIA से जुड़ी 4 अलग-अलग ऑब्जर्वेटरी भी हैं।
कोर्सेज : इस इंस्टीट्यूट से 1 साल के जॉइंट एस्ट्रोनॉमी प्रोग्राम के लिए अप्लाय कर सकते हैं। इसके लिए इंटरव्यू के बेसिस पर सिलेक्शन होते हैं। इसके बाद यहीं से अपनी PhD पूरी कर सकते हैं। इसके अलावा फुल टाइम PhD प्रोग्राम के लिए भी अप्लाय कर सकते हैं।
ऐसे मिलेगा एडमिशन : जॉइंट एस्ट्रोनॉमी प्रोग्राम के लिए IISc, IIA, RRI और TIFR जैसे इंस्टीट्यूटट्स से MSc, BE और BTech डिग्री होल्डर्स अप्लाय कर सकते हैं। वहीं, PhD में एडमिशन के लिए फिजिक्स या मैथ्स सब्जेक्ट्स के साथ MSc या MTech डिग्री होनी चाहिए।
इसकी स्थापना 1971 में हुई थी।
5. आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेज (ARIOS), नैनीताल
IIST केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंडर आता है। नैनीताल के अलावा देवस्थल में भी इस इंस्टीट्यूट का कैंपस है। यहां एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, एट्मॉस्फेरिक साइंसेज औए इंजीनियरिंग रिसर्च की पढ़ाई कर सकते हैं।
कोर्सेज : यहां इंटीग्रेटेड MTech – PhD (Tech), JRF पोजीशन और पोस्ट डॉक्टरल प्रोग्राम में एडमिशन ले सकते हैं।
ऐसे मिलेगा एडमिशन : इसके लिए MSc कर चुके JEST, UGC NET क्वालिफाइड स्टूडेंट्स इंस्टीट्यूट लेवल एंट्रेंस और इंटरव्यू के बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं।
इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1954 में हुई थी।
इन कॉलेजों के अलावा देश के किसी भी IIT से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में MTech यानी मास्टर्स की पढ़ाई कर सकते हैं। इसके लिए BTech या BSc के बाद GATE या IIT JAM के स्कोर के बेसिस पर एडमिशन ले सकते हैं। इन कोर्सेज के लिए देश के बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेजों की लिस्ट नीचे लगे ग्राफिक में देखें…
एग्जाम क्लियर करने के बाद कैंडिडेट्स देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग जैसे स्पेशलाइज्ड MTech कोर्सेज में एडमिशन ले सकेंगे।
इसके अलावा GATE स्कोर की मदद से रिसर्च प्रोग्राम में भी एडमिशन ले सकते हैं। वहीं, PSUs यानी IOCL, ONGC और NTPC जैसी सरकारी कंपनियों में नौकरी के लिए अप्लाय करने के लिए मदद कर सकते हैं।