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- Mother Couldn’t Become A Doctor So She Made Me One: Going From Village To City To Study Was A Challenge; This Is How NEET Was Cracked In The First Attempt
1 घंटे पहलेलेखक: शाहीन अंसारी
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मेरा नाम देवांश रघुवंशी है। मेरे पिता देवी सिंह रघुवंशी किसान हैं। मेरा बचपन सिवनी मालवा गांव में बीता और पढ़ाई-लिखाई भी वहीं से हुई। ऐसे में शहर जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। साल 2023 में मैंने 12वीं की पढ़ाई के साथ नीट यूजी की तैयारी की और पहले ही अटेम्प्ट में सफल रहा। मेरा नीट स्कोर – 609 था।
फिलहाल मैं नेता सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से MBBS के फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा हूं। NEET UG एग्जाम 5 मई को होने वाला है। इसमें 23 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल होने वाले हैं।
मां को नहीं मिली डॉक्टर बनने की आजादी :
मेरे डॉक्टर बनने की कहानी मेरी मां से जुड़ी है। मेरी मां का नाम मनीषा रघुवंशी है। वह आंगनवाड़ी में टीचर हैं। मेरी मां बचपन से पढ़ाई में बहुत होशियार रहीं, लेकिन मेरे नाना को हमेशा इस बात की फिक्र रहती थी कि अगर लड़की ज्यादा पढ़-लिख जाएगी तो गांव में इतना पढ़ा-लिखा लड़का ढूंढना मुश्किल हो जाएगा। उससे शादी कौन करेगा। मेरी मां डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन नाना जी ने सिर्फ नर्सिंग की पढ़ाई करने की इजाजत दी।
इस पढ़ाई के बाद वे आंगनवाड़ी में टीचर तो बनीं, लेकिन उन्होंने शादी के पहले ही यह ठान लिया था कि मैं अपने बच्चों को डॉक्टर बनाऊंगी। वह मुझसे और मेरे बड़े भाई से बचपन में कहा करती थी कि तुम्हें बड़े होकर डॉक्टर बनना है।
लेकिन मेरे भाई की रुचि बीटेक करने में थी और उसने वही किया भी। तब ही मैंने सोच लिया था कि मैं अपनी मां के अधूरे सपने को डॉक्टर बनकर पूरा करूंगा।
साइंस टीचर ने मोटिवेट किया :
मेरे डॉक्टर बनने के फैसले को उस वक्त बल मिला, जब हमारे स्कूल में 8वीं की पढ़ाई के दौरान नई सांइस टीचर आईं। उन्होंने मुझे NEET एग्जाम के बारे में बताया और एग्जाम देने के लिए मोटिवेट किया।
हालांकि हमारे गांव सिवनी मालवा में पढ़ाई का माहौल बहुत कम था। वहां केंद्रीय विद्यालय नया खुला था जहां पढ़ाई बहुत कम होती थी। ऐसे में सेल्फ स्टडी करनी पड़ती थी।
नए शहर के माहौल में ढलना मुश्किल रहा :
सिवनी मालवा में पढ़ाई के बाद मैं अपनी मां के कहने पर भोपाल आ गया। मां चाहती थी कि मैं गांव से निकलकर भोपाल जाऊं ताकि मुझे पढ़ाई के लिए पूरा माहौल मिले। ऐसे में भोपाल आकर मैंने आकाश इंस्टीट्यूट जॉइन कर लिया।
यहां भी मेरे लिए परेशानी कम नहीं थी। एक तो नया शहर ऊपर से जिस होस्टल में मैं रहता था, वहां का खाना अच्छा नहीं था। मैं बार-बार बीमार पड़ने लगा। 11वीं में मेरा बैकलॉग भी रहा।
शहर के बच्चों के बीच हिचकिचाहट होती थी :
ये तो रही पढ़ाई की बात, लेकिन इसके साथ ही जो दिक्कत मैंने महसूस की, वो कोचिंग के उन बच्चों के बीच अपनी पहचान बनाना भी था जो कक्षा 9वीं या 10वीं से कोचिंग के टॉपर थे। एक मिडिल क्लास फैमिली से निकलकर हाई स्टैंडर्ड छात्रों के साथ तालमेल बैठाना मेरे लिए मुश्किल रहा।
शुरू में मुझे इतनी हिचकिचाहट होती थी कि कई बार जब कोचिंग में टीचर सवाल पूछते तो मैं जवाब आने के बाद भी हाथ उठाने में हिचकिचाता था और बोल नहीं पाता था। लेकिन मैंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए मुझे हर हाल में कुछ कर दिखाना है।
तबीयत बिगड़ने का असर पढ़ाई पर हुआ :
दिसंबर 2022 में मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त था, लेकिन परेशानी उस वक्त हुई थी जब मुझे खराब खाने की वजह से डिहाइड्रेशन हो गया। बार-बार तबीयत खराब होने की वजह से मैं घर चला गया। जनवरी में पढ़ाई पीक पर थी।
मेरा मन घर में भी नहीं लग रहा था क्योंकि मैं यह जानता था कि यहां से भोपाल जाने के बाद जो पढ़ाई छूट रही है, उसे कवर करना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच मेरी सेहत में कोई सुधार नहीं दिखा। जल्द ही पता चला कि मुझे टाइफाइड हो गया है।
मां ने दोबारा भोपाल भेजा :
मेरी जिस्मानी हालत तो खराब थी ही, लेकिन उससे ज्यादा दिमागी हालत पर असर हुआ। मैंने पढ़ाई को लेकर गिवअप कर दिया क्योंकि इस हालत में पढ़ाई करना तो दूर मेरे लिए उठना-बैठना भी मुश्किल था।
मैंने हिम्मत हारी, लेकिन मेरी मां ने मुझे जिताने की कसम खा रखी थी। फरवरी में जब मेरी तबीयत ठीक हुई थी तो उन्होंने एक बार फिर मुझे भोपाल जाने के लिए कहा।
एक बार फिर शुरू की पढ़ाई :
फरवरी 2023 में मैं फिर भोपाल आ गया। लेकिन फिर से पढ़ाई करना मेरे लिए आसान नहीं था क्योंकि कोचिंग में पढ़ाई काफी छूट चुकी थी।
इस वक्त आकाश इंस्टीट्यूट के टीचर रणधीर सर ने मेरी बहुत मदद की। मैंने 12वीं 93% के साथ पास की। उसके बाद NEET के लिए सिलेक्ट हुआ।
गांव के बच्चों की पढ़ाई में मदद का सपना :
मैं MBBS करने के बाद पेडियाट्रिक्स में सर्जरी करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि अपनी पढ़ाई के बाद सिवनी मालवा के उन बच्चों की पढ़ाई करने में मदद करूं जो योग्य होने के बाद भी माहौल और पढ़ाई की जानकारी के बारे में कम जानने की वजह से पीछे रह जाते हैं।
NEET की तैयारी के लिए नोट्स प्रॉपर बनाना जरूरी :
NEET की तैयारी के लिए आप बायोलॉजी के सिलेबस की तैयारी बहुत अच्छी तरह करें। आप एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ें। इसमें जेनेटिक्स खास टॉपिक में से एक है। इसके नोट्स प्रॉपर बनाएं। फिजिक्स, केमिस्ट्री पर आपका फोकस भी बायोलॉजी की तरह ही प्रॉपर होना चाहिए।