Bharatiya Nyaya Sanhita Bill 2023: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने शनिवार (12 अगस्त) को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की दमनकारी शक्तियों’ का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने यह भी दावा किया कि इस तरह के कानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा ‘विरोधियों को खामोश’ करने का है.
सरकार ने लोकसभा में पेश किए ये तीन विधेयक
आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए केंद्र ने शुक्रवार (11 अगस्त) को आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें अन्य चीजों के अलावा, राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की एक व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, सीआरपीसी की जगह लेने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023, और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 पेश किया. भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023, इंडियन एविडेंस एक्ट (भारतीय साक्ष्य अधिनियम) की जगह लेगा.
क्या कुछ बोले कपिल सिब्बल?
सिब्बल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “भारतीय न्याय संहिता (2023) (बीएनएस) राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की दमनकारी शक्तियों के इस्तेमाल की इजाजत देती है.”
उन्होंने यह भी कहा, “ बीएनएस पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिन से 60 या 90 दिन तक करने की अनुमति देता है. राष्ट्र की सुरक्षा (पुन:परिभाषित) को खतरे में डालने वाले व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए नया प्रावधान है. एजेंडा विरोधियों को खमोश करने का है.”
Bharatiya Nyaya Sanhita(2023)(BNS)
Allows for using draconian police powers for political ends
BNS :
Allows for police custody from 15 upto 60 or 90 daysNew offences for prosecuting persons who threaten the security of state( redefined)
Agenda :
To silence opponents
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 12, 2023
बीएनएस विधेयक मानहानि और खुदकुशी की कोशिश समेत मौजूदा प्रावधानों में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है. शाह ने कहा कि ये बदलाव इसलिए किए जा रहे हैं कि लोगों को शीघ्रता से न्याय मिल सके.
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