- सांगठनिक स्तर पर भारी नाराजगी
मुंबई: ग्राम पंचायत चुनाव में मिली जीत से भाजपाइयों के हौसले बुलंद है, लेकिन सांगठनिक स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ता (BJP Workers) अपनी ही सरकार (Shinde government) में असहज (Uncomfortable) महसूस कर रहे हैं। खासकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) के सरकार में आने के बाद बीजेपी के अंदर चिंता की लकीरें और बढ़ गयी है। पार्टी के एक जिम्मेदार पदाधिकारी के अनुसार हमारी स्थिति ऐसी है कि काम होना जाना तो दूर हमारे लोगों को मंत्रालय में एंट्री तक नहीं मिल पा रही है, जबकि शिवसेना और राकां नेताओं के काम धड़ल्ले से हो रहे हैं। हमारे सिफारिशी पत्रों को मंत्री डस्टबिन में डाल रहे हैं।
दरअसल सुरक्षा की दृष्टि से मंत्रालय में आम लोगों की एंट्री दोपहर 2 बजे के बाद होती है। इसके लिए मंत्रालय के गार्डन गेट से एंट्री पास बनाना होता है। लेकिन 2 बजे की बाद पास के लिए इतनी लंबी लाइन लगती है, कि प्रवेश मुश्किल हो जाता है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने सभी जिला अध्यक्षों और प्रमुख पदाधिकारियों के मंत्रालय में आसान इंट्री के लिए सरकार से पास जारी करने का आग्रह किया थ। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसके 6 माह बीत गए लेकिन आज तक किसी भी पदाधिकारी के लिए इंटर पास जारी नहीं हुआ। इसका परिणाम संगठन के कामकाज पर हो रहा है। राज्य के अलग अलग जिलों से कार्यकर्ता आते हैं और लंबी कतारों के चलते जब पास नहीं बनता तो उन्हें लौटना पड़ता है।
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समन्वयक की भी कहीं कोई सुनवाई नहीं
भाजपा के नेता भले ही इस बात से इनकार करें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनके सिर्फ सांस्कृतिक रिश्ते है। सरकार या फिर राजनीति में आरएसएस के लोगों की कोई दखलंदाजी नहीं है। लेकिन यह सिर्फ कहने की बात है। महायुति की सरकार में चाहें मंत्री किसी भी दल का हो उनके कार्यालय में संघ का एक पदाधिकारी ओएसडी बनकर बैठा है। संगठन का काम सरकार में आसानी से हो, इसके लिए समन्वयक रूप में उनकी नियुक्ति की गयी है। बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में समन्वयकों की सूची भी लगाई गई है कि किस मंत्री के पास कौन समन्वयक है। कार्यकर्ता उनसे संपर्क कर पार्टी से जुड़े लोगों के काम करवा सकते हैं। लेकिन स्थिति ऐसी है कि समन्वयकों के पत्रों की मंत्रियों के यहां कोई सुनवाई नहीं है।
अजित पवार की गुणगान कर रहे संघ के कार्यकर्ता
सरकार से न केवल बीजेपी बल्कि संघ के लोगों की भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। रत्नागिरी सरकारी अस्पताल में पिछले 5 साल से कार्यरत संघ परिवार से जुड़ी एक महिला का तबादला प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की सिफारिश पर तत्कालीन हेल्थ मिनिस्टर गिरीज महाजन, पुणे के पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल जो काम 6 महीने में नहीं करा पाए उसको उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने 24 घंटे में कर दिया। सूत्रों के अनुसार हेल्थ कर्मी ने पुणे के अस्पताल में ज्वाइन पहले किया। उसका तबादला आदेश एक सप्ताह के बाद जारी हुआ। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि महिलाकर्मी का तबादला ड्यू था और पुणे में 12 सीट खाली थी। इसके बावजूद ये मंत्री सिर्फ हीलाहवाली करते रहे। सरकारी नौकरी में जाने से पहले वह महिला संघ के लिए काम करती थी।
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